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अंधकार के बाद उजाला

सिया एक छोटे शहर में जन्मी थी , जहाँ हर घर में सीमित संसाधन और छोटे सपने ही रहते थे। उसके पिता एक सरकारी कर्मचारी थे , जो अपनी जिम्मेदारियों में व्यस्त रहते और अक्सर थके हुए घर लौटते , जबकि माँ घर संभालती और छोटी-छोटी खुशियों को जुटाने की कोशिश करतीं। बचपन से ही सिया ने गरीबी और संघर्ष को बहुत करीब से महसूस किया था। स्कूल में उसके पास सही किताबें या नए कपड़े नहीं होते थे , और अक्सर बच्चे उसका मजाक उड़ाते थे , लेकिन सिया हमेशा चुप रहती , अपने दिल में छोटे-छोटे सपनों को पनपाती। उसकी आँखों में एक अजीब सी चमक थी , जो उसके भीतर छुपी उम्मीद और आत्मविश्वास को दर्शाती थी। समय बीतता गया और सिया के पिता की तबीयत अचानक बिगड़ गई। परिवार पर आर्थिक दबाव बढ़ गया , और सिया को समझना पड़ा कि अब वह केवल अपनी पढ़ाई तक ही सीमित नहीं रह सकती , बल्कि घर के लिए भी जिम्मेदारियों को उठाना होगा। कई बार उसने स्कूल छोड़कर काम करने का सोचा , लेकिन माँ ने उसकी किताबों को गले लगाकर कहा , “ सिया , अगर तुम पढ़ाई छोड़ दोगी तो हमारे सपने भी अधूरे रह जाएंगे।” उस दिन सिया ने पहली बार अपने भीतर एक अडिग संकल्प महसूस किया। ...

कॉमेडी स्टोरी: “सर्दी में नहा न सके सोनू महाराज”

 चांदनगर नाम का एक छोटा-सा कस्बा था, जहाँ की सबसे बड़ी समस्या बिजली, पानी या सड़कें नहीं थीं… बल्कि सोनू की न नहाने की आदत थी। कस्बे के लोग यह तक कहने लगे थे कि—

“अगर सोनू सर्दियों में नहा ले, तो शायद अगले दिन सूरज दोपहर से पहले निकल आए।”

लेकिन सोनू?
वो था अपनी ही दुनिया का बादशाह—जो सर्दियों को दुश्मन देश की सेना की तरह समझता था और बाथरूम को युद्धभूमि।

🌬️ सर्दी का आतंक

सर्दी शुरू होते ही सोनू की जिंदगी तीन चीज़ों पर टिक जाती:

  1. रज़ाई

  2. बंदरटोपी

  3. और न नहाने के नए-नए बहाने

पहले दिन ही सोनू ने माँ से साफ-साफ कह दिया—

मम्मी, मैं ठंड में नहीं नहा सकता। ये साइंस के हिसाब से शरीर पर बहुत बुरा असर डालता है।"

माँ ने पूछा, “कौन-सा साइंस?”

सोनू ने रज़ाई में नाक छुपाते हुए कहा—

“वही वाला… जो मैं अभी तक खोज नहीं पाया। पर होगा कोई ना कोई साइंटिस्ट जिसने कहा होगा कि सर्दियों में नहाना नहीं चाहिए।”

माँ का माथा थप से दीवार पर।

🧴 सोनू का बाथरूम दर्शन

सोनू के बाथरूम जाने के नियम बड़े अजीब थे:

  • बाथरूम में जाओ, पर पानी मत छुओ

  • आईने में खुद को देखो, फिर खुद को एक motivational speech दो

  • “तू कर सकता है” ― यह तीन बार बोलो

  • फिर वापस रज़ाई में घुस आओ

एक दिन पापा ने पकड़ लिया।

पापा – “अरे! ये बाल सूखे कैसे?”
सोनू – “ड्रायर से सुखा लिए।”
पापा – “पर तू नहाने ड्रायर लेकर गया था?”
सोनू – “आजकल टेक्नोलॉजी का ज़माना है, पापा।”

पापा का खून खौल उठा, लेकिन ठंड इतनी थी कि खौल भी ऊपर से बर्फ जैसा हो गया।

🤣 कस्बे की गंध-सभा

करीब दस दिन न बीतें कि पूरा मोहल्ला सोनू की ‘खुशबू’ पहचानने लगा।
लोगों ने गली में बोर्ड तक लगा दिया—

“सावधान! सोनू यहाँ से गुजर सकता है।”

मोहल्ले के कुत्ते भी सोनू को देखते ही दूसरी गली में चले जाते।
एक बार तो एक कुत्ता सोनू के पास आकर बैठ गया… शायद उसे लगा कि सोनू भी उसी की प्रजाति का है।

सोनू ने हँसकर कहा—
“देखो मम्मी, कुत्ता मुझसे कितना प्यार करता है।”
माँ बोली—
“प्यार नहीं बेटा, उसे लग रहा होगा तू उसका बड़ा वाला कजिन भाई है।”

🧥 कॉलेज में हंगामा

सोनू कॉलेज भी जाता था। और वहाँ भी उसकी ‘ठंडी क्रांति’ मशहूर हो गई थी।
दोस्त लोग उसे देखते ही चिल्लाते—

“भाइयो! हवा का रुख बदलो, सोनू आ रहा है!”

टीचर क्लास में घुसते ही कहते—

“खिड़कियाँ खोल दो, नहीं तो हमें बेहोशी की दवा रखनी पड़ेगी।”

लेकिन सोनू था कि शर्माने के बजाय गर्व करता।

“मैं तो नेचुरल इंसेंसस्टिक हूँ… फ़्री की!” वो कहता।

📢 मिशन: सोनू को नहलाओ

एक दिन कॉलेज के प्रिंसिपल तंग आ गए।
उन्होंने पूरी क्लास के सामने घोषणा की—

“अगर सोनू कल नहा कर नहीं आया, तो उसकी अटेंडेंस BLOCK!”

सोनू हिल गया।
अटेंडेंस उसकी लाइफलाइन थी—बिना अटेंडेंस के तो परीक्षा ही नहीं देने देते!

उसने उसी दिन ठान लिया—

“ठीक है! कल नहाऊँगा। चाहे जान जाए, पर परीक्षा बचे।”

पर जैसे ही रात में बाथरूम में पैर रखा… बrrrrrr!

सोनू ने पैर वापस खींच लिया
और बोला—

“कल के कल देखेंगे।”

सोनू ने रातभर नहाने की प्लानिंग की।
रज़ाई में लिपटा हुआ, मोबाइल की टॉर्च जलाकर, एक असली साइंटिस्ट की तरह नोट्स बना रहा था।

उसने अपने कागज पर लिखा:

  1. नहाने से पहले गर्म पानी तैयार करना

  2. नहाने से पहले कमरे को गर्म करना

  3. नहाने से पहले दिमाग को गर्म करना

  4. अगर फिर भी न लगा, तो कल नहाना

उसकी यह प्लानिंग देखकर भाई गोलू बोला—

“भैया, नहाओगे या अग्निपरीक्षा दोगे?”

सोनू ने गंभीरता से कहा—

“नहाना ही अग्निपरीक्षा है, गोलू!”

🌡️ अलार्म का आतंक

सुबह का अलार्म 6 बजे बजा।

टिंग टिंग टिंग टिंग!

अलार्म ने खुद भी सोचा नहीं होगा कि उसे इतनी बेरहमी से गाली दी जाएगी।

सोनू ने उसे तीन बार थप्पड़ मारे
फिर रज़ाई में मुँह दबाकर बोला—

“आज… नहीं… नहाऊँगा।”

दूसरे अलार्म ने भी कोशिश की, तीसरे ने भी, यहाँ तक कि गोलू भी चिल्लाया—

“भैया! नहा लो! नहीं तो प्रिंसिपल सर तुम्हें exam hall में घुसने नहीं देंगे!”

सोनू रज़ाई से निकलकर बैठा, पर ठंड जैसे थप्पड़ मार रही थी।

“हे भगवान! क्या गुनाह किया था मैंने पिछले जन्म में?” उसने कराहते हुए कहा।

🚿 बाथरूम में युद्ध

आखिरकार, कांपते-कांपते सोनू बाथरूम में गया।
हाथ में हीटर… कंधे पर तौलिया… और दिमाग में हॉरर मूवी का बैकग्राउंड म्यूज़िक।

पहले उसने गर्म पानी का मग लिया, उंगली डाली—

“आआआआआ! बहुत गरम!”

ठंडे पानी में उंगली डाली—

“आआआआआ! बहुत ठंडा!”

गोलू बाहर से बोला—

“भैया! नहाना है, तापमान मापना नहीं!”

सोनू ने गहरी साँस ली और खुद को मोटिवेट करने लगा—

“तू कर सकता है, सोनू।
तू हीरो है!
तू शेर है!
तू—”

छपाक!

गोलू ने बाहर से पानी का मग अंदर डाल दिया।

सोनू तीन फीट ऊपर छलांग गया।

“गोलू! मैं तुझे adopt करवा दूँगा किसी कुत्ते के पास!”

😂 उल्टा नहाना

अंदर से सोनू की आवाजें आ रही थीं—

“हे भगवान…
हे भगवान…
हे भगवान…
अरे भगवान, कोई तो!…”

गोलू बोला—
“क्या हुआ भैया?”

सोनू—
“नहाते-नहाते साबुन गिर गया। उठाने के लिए झुकूँ तो ठंड लगती है, सीधे खड़ा रहूँ तो झाग बैठ जाता है!”

आखिर दस मिनट की जंग के बाद सोनू बाहर आया।
वो चमक रहा था…
चमक तो असल में सफेद झाग की थी जो ठीक से धुला नहीं था, पर सोनू को बहुत गर्व था।

“देखो गोलू! मैं नहा लिया।”

गोलू ने नाक सिकोड़ते हुए कहा—
“भैया, अभी भी साबुन झाग आपके कान में फँसा है।”

सोनू ने झल्लाकर कहा—
“ये स्टाइल है, समझा?”

🧊 सर्दी की सजा

नहाकर जैसे ही हवा लगी, सोनू की हालत खराब—

“ह्ह्ह्ह्ह—ह्ह्ह—ह्ह्ह—छींiiii!!”

छींकों की ऐसी लाइन लगी कि घर के सारे दरवाजे हिलने लगे।

मम्मी बोलीं—
“देखा? इसलिए कहती हूँ, जल्दी नहाया करो। सर्दी शरीर में नहीं, दिमाग में लगती है।”

सोनू ने रुमाल पकड़कर जवाब दिया—

“मम्मी, मेरे अंदर का हीटर खराब हो गया है।”


🏫 कॉलेज में एंट्री

नहाकर आया सोनू कॉलेज में बॉस की तरह चला।

दोस्तों ने उसे देखते ही तालियाँ बजाईं—

“वाह सोनू! लगता है आज तू इंसान बनकर आया है!”

एक दोस्त बोला—
“यार, तू नहा भी सकता है? ये तो नेचर डॉक्यूमेंट्री बननी चाहिए।”

टीचर ने क्लास में घुसते ही कहा—

“आज क्लास में कुछ अलग खुशबू है…
अरे, सोनू नहाकर आया है?”

पूरी क्लास हँसी से फट पड़ी।

सोनू गर्व से बोला—
“हाँ मैडम, आज मैंने ठंड को हरा दिया!”

मैडम—
“अच्छा? और ये कान में झाग क्यों चमक रहा है?”

सोनू को अचानक एहसास हुआ।
पूरी क्लास हँसते-हँसते रोने लगी।


🧻 क्लासरूम की ‘सुखाई प्रक्रिया’

सोनू कान से झाग निकालने लगा।
बिट्टू बोला—
“रुक, मैं पेपर से निकाल देता हूँ।”

दूसरा बोला—
“नहीं भाई, ऐसे मत निकाल! फोन से वीडियो बनाओ, वायरल करेंगे।”

लड़कियाँ खिलखिला रही थीं, लड़के हो-हो करके हँस रहे थे।
सोनू का कॉन्फिडेंस टूटने लगा—

“यार… इतना भी मत हँसा करो, मैं भी इंसान हूँ।”

बिट्टू बोला—
“इंसान? तू तो चमत्कार है भाई… सर्दी में नहाने वाला चमत्कार!”


📝 प्रिंसिपल सर की चाल

अचानक एक पेऑन आया और बोला—

“प्रिंसिपल सर बुला रहे हैं।”

सोनू के हाथ-पैर ठंड से ज्यादा डर के मारे काँपने लगे।

जैसे-तैसे वह प्रिंसिपल के ऑफिस गया।

प्रिंसिपल बोले—
“सोनू, तुम्हारी नहाने की खबर पूरे कॉलेज में वायरल हो गई है।”

सोनू शर्माते हुए बोला—
“सर, मैंने तो बस… थोड़ा नहाया था…”

प्रिंसिपल—
“तुम्हें पता है, तीन टीचरों ने आज छुट्टी ले ली? क्यों? क्योंकि उन्हें विश्वास नहीं हुआ कि तुमने नहाया है।”

सोनू—
“??????”

प्रिंसिपल—
“और इससे भी बड़ा झटका—
तुम्हारी नहाई हुई फोटो कॉलेज के Notice Board पर लगा दी है!”

सोनू वहीं सीट पर बेहोश होने लगा।

प्रिंसिपल के ऑफिस से बाहर आते ही सोनू का चेहरा ऐसा हो गया था जैसे उससे कोई करोड़ों रुपये का टैक्स वसूल लिया गया हो।
उसकी हालत देख बिट्टू दौड़ा—

“क्या हुआ भाई? अंदर क्या हुआ?”

सोनू फुसफुसाया—

“मेरी नहाई हुई फोटो… Notice Board पर लगा दी है…”

बिट्टू पलकें झपकाना भूल गया—

“क्या??? सच में?? मैं अभी जाकर देखता हूँ!”

सोनू चिल्लाया—
“अरे मत जा! हटा देगा कोई तो!”

लेकिन बिट्टू तो रॉकेट की स्पीड में भाग चुका था।


📸 नोटिस बोर्ड पर सोनू का ‘नहाया हुआ’ चेहरा

कॉलेज के नोटिस बोर्ड के सामने भीड़ लगी हुई थी।
लोग फोटो देखकर ठहाके लगा रहे थे।

फोटो में सोनू का चेहरा चमक रहा था,
लेकिन कान में झाग, मूँछ पर साबुन की लाइन और पीछे गोलू की हँसती हुई शक्ल ने फोटो को मास्टरपीस बना दिया था।

एक लड़की बोली—
“अरे वाह, सोनू तो नहाकर स्मार्ट लगता है!”

दूसरी बोली—
“हाँ, पर कान में झाग क्यों छोड़ा? यही स्टाइल है क्या?”

पीछे से कोई बोला—
“ये है ‘विंटर फ्रेश’ मॉडल!”

सोनू भीड़ देखकर ऐसा मुड़ा जैसे पुलिस ने उसे रंगे हाथों पकड़ लिया हो।


🎤 कॉलेज की घोषणा

अचानक लाउडस्पीकर से आवाज आई—

“Attention please!
आज का सबसे बड़ा चमत्कार:
सर्दियों में सोनू का नहाना!
इसे ‘साल का स्नान दिवस’ घोषित किया जाता है।”

पूरी क्लास हँसते-हँसते जमीन पर गिर पड़ी।

सोनू ने आसमान की ओर देखा—
“हे भगवान, ये कैसा न्याय है?”


🤧 सर्दी का बदला

लेकिन असली परेशानी अभी बाकी थी।
नहाने के बाद से सोनू की नाक लगातार बह रही थी।
क्लास में बैठकर वह हर पाँच मिनट में—

“ह्ह्ह्ह—छींऽऽऽ!”

इतना तेज़ छींकता कि फैन हिल जाता।

टीचर ने चश्मा उतारकर कहा—
“सोनू, ये क्लास है या तूफान?”

सोनू बोला—
“मैडम, ठंड ने मुझे अंदर से हिला दिया है।”

पूरी क्लास ने एक साथ रुमाल पकड़ लिया।


🍵 कैंटीन में ‘हीटर पार्टी’

लंच में सोनू और उसके दोस्त कैंटीन गए।
सोनू ने वहाँ दो चाय, एक कॉफी, एक सूप और एक गुनगुना पानी मँगवाया।

बिट्टू बोला—
“भाई, इतना गरम-गरम क्यों पी रहा है?”
सोनू—
“लोग कहते हैं इंसान अंदर से गरम होना चाहिए।
मैं कोशिश कर रहा हूँ।”

चायवाले चाचा बोले—
“बेटा, इतना गरम पीने से इंसान नहीं, प्रेशर कुकर बन जाएगा।”

दूसरे दोस्त लाला ने कहा—
“सोनू, तू नहाने के बाद इतना शरमा क्यों रहा है?”
सोनू—
“मैं शर्म नहीं रहा, मैं जम रहा हूँ।”

सभी हँस पड़े।


😂 सोनू का ‘सर्दी रोधी फैशन’

कॉलेज से निकलते समय सोनू ने खुद को इतनी परतों में ढक लिया कि पहचानना मुश्किल हो गया।

  • 2 मफलर

  • 3 जैकेट

  • 1 बंदरटोपी

  • और चेहरा सिर्फ 1% खुला

बिट्टू बोला—
“भाई, तू इंसान है या विंटर पैकेज?”

दूसरा बोला—
“तुझे देखकर लग रहा है जैसे कपड़ों की दुकान ने लड़का पाल लिया हो।”

सोनू गुस्से में बोला—
“तुम लोग हँसो, हँसो…
जब तुम्हारे कानों में हवा घुसेगी न, तब पता चलेगा!”

पर हवा ने उसके ही कान में घुसकर कहा—
“ठंडी हवा हूँ मैं…”

सोनू तुरंत कूद पड़ा—
“मम्म्म्मीईईईई!!!”


🚶‍♂️ घर वापसी का ट्रेजेडी कॉमेडी

घर पहुँचते-पहुँचते सोनू की हालत और खराब।
नाक बंद, आँखें लाल, गाल ठंड से सुर्ख।

मम्मी घबरा गईं—
“अरे ये क्या हाल बना लिया? किससे लड़कर आया?”

सोनू ने जवाब दिया—
“मम्मी… मैं ठंड से हार गया… मुझे सर्दी ने मार दिया…”

गोलू हँसते हुए बोला—
“भैया, आपने नहाने की कोशिश में अपनी जिंदगी दाँव पर लगा दी।”

मम्मी ने आयुर्वेदिक काढ़ा पकड़ा दिया।

सोनू ने एक घूंट लिया—

“अरे मम्मी! ये तो दवा नहीं, मौत है!!”

मम्मी बोलीं—
“पी ले बेटा, आगे से सर्दियों में नहाने का मन नहीं करेगा।”

सोनू रोते हुए बोला—
“मम्मी, अभी भी नहीं करता!”


🛏️ रात का मोड़

रात को सोनू बिस्तर पर पड़ा—
नाक टपक रही थी, सिर गरम, पैर ठंडे।

गोलू पास बैठा बोला—
“भैया, आराम कर लो… मेरी फोटो दिखाऊँ?”

सोनू ने तकिया उठाकर मारा—
“भाग इधर से! तूने ही पानी फेंका था बाथरूम में!”

गोलू—
“अरे भैया, वो तो मैं आपको मोटिवेट कर रहा था!”

सोनू—
“तू मोटिवेट नहीं, मोतिवेशन देता है!”


🧠 अचानक दिमाग में आया एक ‘महान’ आइडिया

अचानक सोनू उठकर बैठ गया।

“गोलू! सुन! मुझे एक आइडिया आया है!”

गोलू डर गया—
“भैया, कहीं फिर नहाने की बात तो नहीं?”

सोनू मुस्कराया—
“नहीं रे…
मैं कल कॉलेज में घोषणा करूँगा कि मैं समाज की भलाई के लिए सर्दियों में नहीं नहाता।”

गोलू—
“कौन-सी भलाई?”

सोनू—
“अगर मैं नहाया, और बीमारी हुई, तो डॉक्टर के पास जाऊँगा…
डॉक्टर का बिल आएगा…
घरवालों को टेंशन…
मतलब, मेरा न नहाना ही एक तरह से ‘परिवार सेवा’ है!”

गोलू के दिमाग में धुआँ निकलने लगा।


🛎️ और अगले दिन कॉलेज में…

दूसरे दिन जैसे ही सोनू कॉलेज पहुँचा, सभी उसे घूर रहे थे।
सबको लग रहा था कि आज फिर कोई नया तमाशा होने वाला है।

क्लास शुरू हुई।
सोनू खड़ा हुआ।
टीचर ने पूछा—
“हाँ सोनू, अब क्या?”

सोनू ने हाथ जोड़कर घोषणा की—

“मैं, सोनू कुमार,
आज यह प्रतिज्ञा करता हूँ कि
सर्दियों में न नहाकर
मैं देश की ऊर्जा बचाऊँगा,
पानी बचाऊँगा,
और अपने परिवार को मेडिकल बिल से बचाऊँगा।”

क्लास ने पहले एक सेकंड शांति रखी…
और फिर—

धाआआआआआ!!
पूरा कमरा हँसी से दहल गया।

टीचर कुर्सी पर बैठ गईं और बोलीं—

“सोनू, तुम एक दिन बड़ा नेता बनोगे…
क्योंकि तुम्हारे पास बेवकूफी को भी तर्क में बदलने की क्षमता है।”

सोनू ने गर्व से कहा—
“थैंक्यू मैडम।”

कॉलेज से घर लौटते हुए सोनू की हालत पहले से थोड़ी बेहतर थी, लेकिन ठंड ने उसे अब भी घेर रखा था।रास्ते में लोग उसे घूर रहे थे, कुछ उसे देखकर हँस रहे थे, और कुछ धीरे-धीरे उसके “स्नान दिवस” की चर्चा कर रहे थे।

गोलू बोला—
“भैया, लगता है आज से तुम्हारे लिए सब लोग नोटिस बोर्ड पर फोटो लगाएँगे।”

सोनू ने सिर हिला कर कहा—
“गोलू, अगर लोग मेरी तस्वीर देखकर हँसते हैं, तो मैं उनका मनोरंजन कर रहा हूँ।
यही मेरा सामाजिक योगदान है!”

गोलू ने अपनी आँखें गोल कीं—
“भैया, तुम तो सच में नहाने के बहाने खुद को हीरो घोषित कर रहे हो।”


🏠 घर पर फिर से गर्मी का संघर्ष

घर पहुँचते ही मम्मी ने सोनू के लिए गरम पानी का मग तैयार किया।
सोनू ने उसे उठाया, गहरा साँस लिया और बोला—
“मम्मी, मैं अब पानी नहीं पी रहा। ये मुझे बाथरूम की याद दिलाएगा।”

मम्मी ने हँसते हुए कहा—
“ठीक है बेटा, अब तुम आराम करो। लेकिन पानी ज़रूरी है।”

सोनू ने मग को धीरे-धीरे उठाया, और गोलू से कहा—
“गोलू, देख, यह मेरा शहीद मग है। मैं इसे गरम रखकर अपने शरीर को बचा रहा हूँ।”

गोलू ने कहा—
“भैया, तुम नहाने का बहाना करके घर को हीटिंग सिस्टम बना दिया।”

सोनू गर्व से बोला—
“बिलकुल, यही मेरी गाइडलाइन है—सर्दियों में सुरक्षित रहो, और पानी को शिकार न बनने दो।”


🌬️ मोहल्ले में सोनू की कहानी

मोहल्ले के लोग सोनू के बारे में अब हर जगह चर्चा कर रहे थे।
दुकानदार कहता—
“अरे, आज सोनू आया है! ध्यान रखना, हवा उसके पास आने से पहले खुद कूलर चालू कर ले।”

बच्चे उसे देखकर भागते, और कुत्ते भी उसे देखकर दूर चले जाते।
एक दिन तो मोहल्ले की बिल्ली सोनू के पीछे दौड़ पड़ी।
सोनू ने डर के मारे चिल्लाया—
“मम्म्म्मीई! यह बिल्ला मुझे भी नहाने के लिए परेशान कर रही है!”

गोलू हँसते हुए बोला—
“भैया, अब तुम मोहल्ले के सुपरस्टार बन गए हो।”

सोनू ने सिर हिलाते हुए कहा—
“सुपरस्टार नहीं, यह तो सर्दियों का हीरो बनने की शुरुआत है।”


🏫 कॉलेज में फॉलो-अप

कॉलेज में अगले दिन सोनू का स्वागत और भी जोरदार था।
लोग उसे देखकर तालियाँ बजा रहे थे, कुछ लोग उसे देखकर सेल्फी लेने लगे।
टीचर ने पूछा—
“सोनू, क्या आज भी नहाया नहीं?”

सोनू ने बड़े गर्व से कहा—
“मैडम, आज मैं देश और परिवार की भलाई के लिए…
सिर्फ हाथ धोकर आया हूँ।”

क्लास में फिर से हँसी का तूफ़ान छा गया।
सोनू ने अपनी ‘हीरो स्टाइल’ में हाथ उठाया और बोला—
“याद रखो दोस्तों, नहाना जरूरी नहीं, हिम्मत जरूरी है।”

बिट्टू ने पीछे से कहा—
“भैया, आपकी हिम्मत के आगे तो गर्म पानी भी हार जाएगा।”


😂 सोनू का नया अभियान

सोनू ने फैसला किया कि अब वो अपने ‘स्नान विरोधी आंदोलन’ को पूरी तरह सोशल मीडिया पर लेकर जाएगा।
उसने अपने दोस्तों को बुलाया और बोला—
“हमेशा ठंड में नहाने से बचना चाहिए।
यह हमारे शरीर और आत्मा की सुरक्षा है।
हम इसे अभियान बनाएंगे—#नोविंटरबाथ।”

दोस्तों ने तालियाँ बजाईं।
बिट्टू ने कहा—
“भैया, अगर आप ऐसा करेंगे, तो आप वर्ल्ड फेमस होंगे।”

सोनू ने गर्व से कहा—
“बिलकुल, और मैं अपने इस आंदोलन का पहला पोस्ट कल कॉलेज के बोर्ड पर लगाऊँगा।”


🧣 सर्दियों में स्टाइल टिप्स

सोनू ने अब खुद को तैयार करना शुरू किया—
सर्दियों में सुरक्षित रहने के लिए उसने ‘सोनू स्टाइल गाइड’ बनाई:

  1. हमेशा मफलर बांधो

  2. जैकेट की कम से कम तीन परत हो

  3. गर्म पानी हमेशा तैयार रखो

  4. हाथ धोकर ही खाना खाओ

  5. बाथरूम में जाने से पहले दिमाग को मोटिवेट करो

  6. अगर संभव हो, तो बाथरूम में प्रवेश ही न करो

गोलू ने कहा—
“भैया, यह गाइड पढ़कर तो कोई भी आदमी आपके घर में ही रहना चाहेगा।”

सोनू ने सिर हिलाया—
“गोलू, यह केवल मेरे जैसी जांबाज आत्माओं के लिए है।”


🏠 घर में मजेदार घटनाएँ

रात में सोनू फिर से रज़ाई में लेटा।
गोलू ने चुपके से कमरे में घुसकर कहा—
“भैया, मुझे एक आइडिया आया है।
हम तुम्हारी नहाने वाली फोटो से मोज़ेक बनाएँ, और मोहल्ले में लगाएँ।”

सोनू ने डर से पाँव मारते हुए कहा—
“गोलू! क्या तुम मेरा मज़ाक बना रहे हो या इतिहास लिखना चाहते हो?”

गोलू बोला—
“इतिहास! भैया, आप तो देशभक्ति कर रहे हो—स्नान बचाने के लिए।”

सोनू ने सिर हिलाकर कहा—
“ठीक है, लेकिन यह इतिहास केवल मेरी शर्तों पर बनेगा।”


🏫 कॉलेज में अगली क्लास

अगले दिन कॉलेज में सोनू फिर से अपनी हीरो स्टाइल में आया।
टीचर ने पूछा—
“सोनू, आज क्या नया है?”

सोनू ने गर्व से कहा—
“आज मैडम, मैं सिर्फ हाथ धोकर आया हूँ।
सामाजिक जिम्मेदारी निभाने के लिए स्नान छोड़ दिया।”

क्लास में फिर से हँसी का तूफ़ान।
कुछ छात्र चुपके से नोट्स बनाने लगे—“कैसे बनें सोनू जैसा हीरो।”

टीचर ने कहा—
“सोनू, तुम्हारे इस आंदोलन ने पूरे कॉलेज को जागरूक कर दिया है।”

सोनू ने सिर झुकाकर कहा—
“मैडम, यही मेरा उद्देश्य है।
सिर्फ नहाना ही नहीं, समाज सेवा भी जरूरी है।”

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यह कहानी पूरी तरह से काल्पनिक (fictional) है।  सोनू, प्रीति और इसमें वर्णित सभी व्यक्ति, घटनाएँ, स्थान और परिस्थितियाँ कल्पना पर आधारित हैं ।  इसमें किसी वास्तविक व्यक्ति, परिवार या घटना से कोई संबंध नहीं है।  कहानी का उद्देश्य केवल मनोरंजन और रचनात्मकता है।  30 नवंबर की रात थी—भव्य सजावट, ढोल का धमाका, चूड़ियों की खनखनाहट और रिश्तेदारों की भीड़। यही थी सोनू के बड़े भाई की शादी। प्रीति अपनी मौसी के परिवार के साथ आई थी। दोनों एक-दूसरे को नहीं जानते थे… अभी तक। 🌸 पहली मुलाक़ात – वरमाला के मंच पर वरमाला का शूम्बर शुरू हुआ था। दूल्हा-दुल्हन स्टेज पर खड़े थे, और सभी लोग उनके इर्द-गिर्द फोटो लेने में जुटे थे। सोनू फोटोग्राफर के पास खड़ा था। तभी एक लड़की उसके बगल में फ्रेम में आ गई—हल्का गुलाबी लहँगा, पोनीटेल, और क्यूट सी घबराहट। प्रीति। भीड़ में उसका दुपट्टा फूलों की वायर में फँस गया। सोनू ने तुरंत आगे बढ़कर दुपट्टा छुड़ा दिया। प्रीति ने धीमे, शर्माए-सजाए अंदाज़ में कहा— “थैंक यू… वरना मैं भी वरमाला के साथ स्टेज पर चढ़ जाती!” सोनू ने पहली बार किसी शादी में...

डिजिटल बाबा और चिकन बिरयानी का कनेक्शन

  गाँव के लोग हमेशा अपने पुराने रिवाज़ों और पारंपरिक जीवन में व्यस्त रहते थे। सुबह उठते ही हर कोई खेत में या मंदिर में निकल जाता, और मोबाइल का नाम सुनना भी दूर की बात थी। लेकिन एक दिन गाँव में कुछ अलग हुआ। सुबह-सुबह गाँव की चौपाल पर एक आदमी पहुँचा। वो साधारण दिखता था, लंबा कुर्ता और सफेद दाढ़ी, लेकिन उसके हाथ में मोबाइल और ईयरफोन थे। गाँव वाले धीरे-धीरे इकट्ठा हो गए। गोलू ने धीरे से पप्पू से कहा, “ये कौन है, बाबा या कोई नया टीचर?” पप्पू बोला, “देखो तो सही, वीडियो कॉल पर किसी से बात कर रहे हैं।” डिजिटल बाबा ने सभी को देखकर हाथ हिलाया और बोला, “नमस्ते बच्चों! मैं डिजिटल बाबा हूँ। मैं आपको जीवन के हर रहस्य की जानकारी ऐप्स और सोशल मीडिया से दूँगा!” गाँव वाले थोड़े चौंके। पंडितजी शर्मा ने फुसफुसाते हुए कहा, “मोबाइल वाले संत? ये तो नई बात है।” बाबा ने मुस्कुराते हुए कहा, “हां पंडितजी, अब ज्ञान केवल मंदिर में नहीं मिलता, बल्कि इंस्टाग्राम, फेसबुक और यूट्यूब पर भी मिलता है।” गोलू और पप्पू तो बेसब्र हो गए। उन्होंने तुरंत अपने मोबाइल निकालकर बाबा का लाइव वीडियो रिकॉर्ड करना शुरू क...

“दीपों का गाँव” — एक प्रेरक ग्रामीण कथा

  अरावली की तलहटी में बसे किशनपुर गाँव का सूरज किसी और जगह से थोड़ा अलग उगता था। क्यों? क्योंकि इस गाँव के लोग मानते थे कि हर दिन की पहली किरण उम्मीद, प्रेम और मेहनत का संदेश लेकर आती है। पर यह मान्यता हर किसी की नहीं थी—कम-से-कम गाँव के एक हिस्से की तो बिल्कुल भी नहीं। किशनपुर के दो हिस्से थे— ऊपरवाड़ा और नीचेवाला मोहल्ला । ऊपरवाड़ा समृद्ध था, वहीं नीचेवाला मोहल्ला गरीब। इस आर्थिक और सामाजिक दूरी ने गाँव में कई कड़वाहटें भरी थीं। पर इन्हीं सबके बीच जन्मा था दीपक , एक 14 वर्षीय लड़का, जिसकी आँखों में चमक थी, और जिसका दिल गाँव से भी बड़ा था। दीपक नीचे वाले मोहल्ले का था। उसका पिता, हरिलाल, गाँव का एकमात्र मोची था। माँ खेतों में मजदूरी करती थी। गरीबी के बावजूद दीपक पढ़ना चाहता था। उसका सपना था—गाँव के बच्चों के लिए एक ऐसी जगह बनाना जहाँ हर बच्चा पढ़ सके। किशनपुर में एक ही स्कूल था— सरकारी प्राथमिक विद्यालय । छोटा सा, जर्जर कमरों वाला स्कूल। लेकिन बच्चों के सपने बड़े थे। समस्या यह थी कि ऊपरवाड़े के लोग चाहते थे कि उनके बच्चे अलग बैठें। वे गरीब बच्चों के साथ पढ़ाना पसंद नहीं करत...