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अंधकार के बाद उजाला

सिया एक छोटे शहर में जन्मी थी , जहाँ हर घर में सीमित संसाधन और छोटे सपने ही रहते थे। उसके पिता एक सरकारी कर्मचारी थे , जो अपनी जिम्मेदारियों में व्यस्त रहते और अक्सर थके हुए घर लौटते , जबकि माँ घर संभालती और छोटी-छोटी खुशियों को जुटाने की कोशिश करतीं। बचपन से ही सिया ने गरीबी और संघर्ष को बहुत करीब से महसूस किया था। स्कूल में उसके पास सही किताबें या नए कपड़े नहीं होते थे , और अक्सर बच्चे उसका मजाक उड़ाते थे , लेकिन सिया हमेशा चुप रहती , अपने दिल में छोटे-छोटे सपनों को पनपाती। उसकी आँखों में एक अजीब सी चमक थी , जो उसके भीतर छुपी उम्मीद और आत्मविश्वास को दर्शाती थी। समय बीतता गया और सिया के पिता की तबीयत अचानक बिगड़ गई। परिवार पर आर्थिक दबाव बढ़ गया , और सिया को समझना पड़ा कि अब वह केवल अपनी पढ़ाई तक ही सीमित नहीं रह सकती , बल्कि घर के लिए भी जिम्मेदारियों को उठाना होगा। कई बार उसने स्कूल छोड़कर काम करने का सोचा , लेकिन माँ ने उसकी किताबों को गले लगाकर कहा , “ सिया , अगर तुम पढ़ाई छोड़ दोगी तो हमारे सपने भी अधूरे रह जाएंगे।” उस दिन सिया ने पहली बार अपने भीतर एक अडिग संकल्प महसूस किया। ...

"अंधेरी दुनिया का जासूस"

 

मुंबई की रातें कभी सोती नहीं हैं। शहर की रोशनी, वाहनों की आवाज़ और हर गली में फैला हलचल – यह सब एक जासूस के लिए चुनौती से कम नहीं थी। एजेंट रिया शर्मा, भारतीय खुफिया विभाग की सबसे तेज और होशियार जासूस, अपने अगले मिशन के लिए तैयार थी।

रिया की बड़ी खूबी उसकी सूझबूझ और हाई-टेक गैजेट्स का इस्तेमाल था। उसके पास हर तरह के उपकरण थे – ड्रोन जो रात में भी उड़ सकता था, जासूसी कैमरा जो सबसे छोटे स्थान में छुप सकता था, और एक स्मार्ट घड़ी जो उसके हर कदम पर डेटा ट्रैक करती थी।

वह अपने ऑफिस में बैठी थी, जब उसे सूचना मिली कि एक डबल एजेंट, जिसका कोड नेम "नॉक्स" था, देश की गोपनीय आर्थिक जानकारी चोरी करने की योजना बना रहा है। नॉक्स का अगला निशाना था मुंबई का वित्त मंत्रालय।

रिया ने तुरंत अपनी टीम को बुलाया। टीम में थे – विवेक, तकनीकी विशेषज्ञ और ड्रोन ऑपरेटर; अनु, खुफिया विश्लेषक; और करण, फील्ड ऑपरेशन्स में माहिर।

"हमारे पास कम समय है," रिया ने गंभीर आवाज में कहा। "नॉक्स अगले 48 घंटे में मंत्रालय पर हमला करने वाला है। हमें उसे पकड़ना होगा, और यह पूरी तरह से गुप्त होना चाहिए।"

रिया ने सबसे पहले वित्त मंत्रालय के आसपास का पूरा नक्शा देखा। उसने देखा कि मंत्रालय के चारों ओर सुरक्षा कैमरे हैं, लेकिन कुछ पुराने हिस्सों में सुरक्षा कमजोर थी।

"हम उसे पुराने पार्किंग क्षेत्र से पकड़ सकते हैं," रिया ने कहा। "विवेक, तुम्हारा ड्रोन उस जगह की निगरानी करेगा। अनु, तुम्हें डिजिटल ट्रैकिंग सेट करनी होगी। करण, तुम इंटीरियर में प्रवेश करोगे।"

टीम ने तैयारी शुरू कर दी। रिया ने अपने पहनावे में नया जासूसी जैकेट पहना – हल्का, लेकिन सुरक्षा उपकरणों से भरा हुआ। जैकेट में एक छोटा कैमरा, माइक्रोफोन और जीपीएस ट्रैकर था।

अगली रात, मिशन की शुरुआत हुई। विवेक ने ड्रोन उड़ाया, अनु ने मंत्रालय के नेटवर्क में सेंध लगाई और करण छत के रास्ते से अंदर घुसा। रिया ने अपनी चालाकी और अनुभव का उपयोग करते हुए नॉक्स के हर कदम को ट्रैक करना शुरू किया।

रिया ने देखा कि नॉक्स मंत्रालय की डिजिटल फाइलों को हैक करने की कोशिश कर रहा था। उसने तुरंत अपने ड्रोन को उस दिशा में भेजा और लाइव फूटेज अपने टैबलेट पर देखा। नॉक्स का चेहरा partially छुपा हुआ था, लेकिन उसकी हरकतें संदिग्ध थीं।

रिया ने फाइलों के पास जाकर अपने स्मार्ट घड़ी से एक विद्युत संकेत भेजा। नॉक्स अचानक रुका और चारों ओर देखा। लेकिन रिया छुप गई थी।

"ये आसान नहीं होगा," रिया ने धीरे से कहा। "वह अनुभवी है, और हमारी हर चाल पर नजर रख रहा है।"

तभी विवेक ने टैबलेट पर एक चेतावनी भेजी – "रिया, नॉक्स ने सुरक्षा सिस्टम में बदलाव कर दिया है। वह हमारी डिजिटल ट्रैकिंग से बच गया है।"

रिया ने गहरी साँस ली। उसे पता था कि अब फील्ड में सीधे संपर्क करना ही आखिरी विकल्प था।

रिया ने छत के रास्ते से नॉक्स का पीछा किया। नॉक्स भी तेज़ था और छत के रास्ते में जटिल मोड़ और उच्च दीवारें थीं। लेकिन रिया अपने प्रशिक्षण और फुर्ती का इस्तेमाल करते हुए धीरे-धीरे उसे घेर रही थी।

अचानक, नॉक्स ने एक फ्लैश बम फेंका। रिया को अपनी आँखें बंद करनी पड़ीं, लेकिन उसका माइक्रोफोन चालू था। उसने धीमी आवाज में अपनी टीम से कहा, "अब हमला का समय है।"

करन और विवेक ने नीचे से नॉक्स को रोकने की कोशिश की। नॉक्स ने लड़ाई शुरू की, लेकिन रिया ने अपनी चतुराई से उसे जकड़ लिया और ड्रोन की मदद से उसे नीचे गिरा दिया।

नॉक्स अब फँस चुका था। रिया ने तुरंत पुलिस और खुफिया टीम को सूचित किया। नॉक्स को गिरफ्तार किया गया।

लेकिन रिया को भीतर ही भीतर पता था कि यह सिर्फ शुरुआत थी। नॉक्स अकेला नहीं था – और भी एजेंट थे, और यह मिशन सिर्फ एक बड़े जाल की पहली कड़ी थी।

रिया शर्मा ने नॉक्स की गिरफ्तारी के बाद थोड़ी राहत महसूस की, लेकिन उसका दिल अभी भी बेचैन था। खुफिया विभाग ने बताया कि नॉक्स केवल एक छोटी कड़ी था – एक अंतरराष्ट्रीय जासूसी नेटवर्क का हिस्सा, जिसका मुख्यालय यूरोप में था। और सबसे खतरनाक बात – नेटवर्क के मुख्य सरगना कोडनेम “फीनिक्स” के बारे में बहुत कम जानकारी थी।

रिया की टीम को तुरंत एक नई मिशन के लिए बुलाया गया। इस बार उन्हें नॉक्स के डिजिटल फाइलों के आधार पर पता चला कि फीनिक्स की अगली गतिविधि मुंबई की ही सीमा से कुछ ही किलोमीटर दूर, गोवा के एक रिसॉर्ट में हो रही थी।

रिया और उसकी टीम गोवा पहुँच गई। रिसॉर्ट शांत और भव्य लग रहा था, लेकिन रिया जानती थी कि सतही शांति के पीछे घातक खतरे छुपे हुए हैं।

विवेक ने अपना पोर्टेबल ड्रोन तैयार किया। ड्रोन की आंखें रात में भी देख सकती थीं और इन्फ्रारेड कैमरे से सभी गतिविधियों को ट्रैक कर सकती थीं। अनु ने रिसॉर्ट के Wi-Fi नेटवर्क में सेंधमारी शुरू की, ताकि वे फीनिक्स के एजेंट्स के फोन और डिजिटल ट्रैफिक को ट्रैक कर सकें।

रिया ने देखा कि रिसॉर्ट के मुख्य लॉबी में दो संदिग्ध व्यक्ति घुसपैठ कर रहे थे। उनमें से एक ने अपने कपड़ों के नीचे इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस छुपा रखा था। रिया ने धीरे से कहा, “यह वही नेटवर्क है। अब हमें सावधानी से कदम बढ़ाना होगा।”

रिया ने अपनी स्मार्ट घड़ी से एक छोटे EMP (इलेक्ट्रॉनिक पल्स) डिवाइस को सक्रिय किया। वह सिर्फ थोड़ी देर के लिए इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को निष्क्रिय कर सकता था। जैसे ही EMP सक्रिय हुआ, रिसॉर्ट में लगे कैमरे और कुछ मोबाइल डिवाइस अस्थायी रूप से बंद हो गए।

इसका फायदा उठाते हुए रिया और करण पीछे की ओर घुसे। उन्होंने देखा कि फीनिक्स के एजेंट्स रिसॉर्ट के लॉबी में नकली लेजर सुरक्षा सिस्टम की जांच कर रहे थे।

रिया ने सोचा, “अगर हम उन्हें पकड़ सकते हैं तो नेटवर्क का बड़ा हिस्सा खत्म होगा।”

लेकिन तभी अचानक, एक एजेंट ने रिया को पहचान लिया।

“तुम्हीं रिया शर्मा हो!” वह चीखा।
रिया ने तुरंत अपने हाई-टेक गैजेट्स का इस्तेमाल किया। उसने एक हेराफेरी धुआँ डालने वाला उपकरण सक्रिय किया और एजेंटों को भ्रमित कर दिया।

रिया और उसकी टीम रिसॉर्ट के पीछे वाले हिस्से में छिप गए। तभी रिसॉर्ट के सबसे ऊपरी कमरे की खिड़की से एक आदमी बाहर निकला। वह फीनिक्स था। उसके हाथ में एक पोर्टेबल लैपटॉप और कई सुरक्षित डिवाइस थे।

रिया ने फिनिक्स को देख लिया और धीरे से कहा, “अंततः, हमें तुम तक पहुँचने का मौका मिल ही गया।”

फीनिक्स ने हंसते हुए कहा, “तुम सोचती हो कि यह खत्म हो गया? यह तो बस शुरुआत है। तुम्हारे देश में मेरी जाल बिछाने के कई लोग हैं।”

तभी फीनिक्स ने अपने लैपटॉप से एक सिग्नल भेजा। रिसॉर्ट में लगी सुरक्षा प्रणाली अचानक सक्रिय हो गई, दरवाजे लॉक हो गए और एलार्म बज उठा।

रिया ने सूझबूझ से ड्रोन को सक्रिय किया। ड्रोन ने फीनिक्स का लैपटॉप हैक किया और उसके GPS लोकेशन को ट्रैक किया।
विवेक ने तुरंत पुलिस और खुफिया टीम को सूचित किया।

रिया ने फीनिक्स का पीछा किया। फीनिक्स तेज़ था, लेकिन रिया और उसकी टीम ने रणनीति बनाई थी। रिया ने फीनिक्स को एक फर्जी रास्ते की ओर भटका दिया, जबकि करण और विवेक पीछे से घेर रहे थे।

अचानक, फीनिक्स ने अपने पॉकेट से एक छोटे बम को सक्रिय किया। रिया ने तुरंत अपने उपकरण से बम को निष्क्रिय किया, और बम सुरक्षित रूप से बाहर फेंक दिया गया।

फीनिक्स अब घिर चुका था। रिया ने उसे पकड़ लिया। लेकिन तभी फीनिक्स ने एक झूठी मुस्कान के साथ कहा, “तुमने मुझे रोका, लेकिन मेरी योजनाएं कहीं और जारी रहेंगी।”

रिया को पता था कि यह सच था – फीनिक्स का नेटवर्क अभी पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ था।

रिया शर्मा ने फीनिक्स को पकड़ लिया था, लेकिन उसके दिमाग में सवाल उठ रहा था – “क्या यह सिर्फ सतही जीत है?” खुफिया विभाग की रिपोर्ट ने पुष्टि की कि फीनिक्स केवल एक छोटी शाखा का सरगना था। उसका असली नेटवर्क अब भी छिपा हुआ था और अगले निशाने पर भारत के ही एक महत्वपूर्ण अनुसंधान केंद्र का डेटा था।

रिया ने अपनी टीम को इकट्ठा किया।

“हम अब केवल उसे नहीं, पूरे नेटवर्क को बेधेंगे,” उसने गंभीर आवाज में कहा। “लेकिन यह मिशन सबसे खतरनाक होगा। फीनिक्स के पास अत्याधुनिक उपकरण हैं, और उसकी रणनीति अप्रत्याशित है।”

विवेक ने स्क्रीन पर डिजिटल मैप खोलते हुए कहा, “हमने पिछले दो महीनों के नेटवर्क ट्रैफिक का विश्लेषण किया है। फीनिक्स अब दिल्ली के उपनगर में एक गुप्त स्थान पर छुपा हुआ है।”

रिया ने डिजिटल और फील्ड टीम को जोड़ते हुए एक योजना बनाई। अनु ने फीनिक्स के सभी डिजिटल सिग्नल को ट्रैक करने के लिए एक एआई-सिस्टम तैयार किया। यह सिस्टम फीनिक्स की हर चाल का अनुमान लगा सकता था।

रिया ने अपना हाई-टेक गैजेट्स देखा – स्मार्ट घड़ी, माइक्रो कैमरा और ड्रोन। उसने सोचा, “अब यह मेरी सूझबूझ और उपकरणों की परीक्षा होगी।”

तभी एक अज्ञात संदेश आया। स्क्रीन पर लिखा था:
"अगर तुम फीनिक्स को पकड़ना चाहती हो, तो अपने विश्वास को परखो। हर कदम धोखा हो सकता है।"

रिया ने गहरी साँस ली। उसे पता था कि यह केवल चुनौती नहीं, बल्कि फीनिक्स का मानसिक खेल भी था।

रिया ने अपने ड्रोन को गुप्त स्थान की तरफ भेजा। ड्रोन ने देखा कि फीनिक्स ने जगह को पूरी तरह सुरक्षा उपकरणों से ढक दिया था। लेकिन रिया ने अपनी सूझबूझ का इस्तेमाल किया। उसने जानबूझकर दो टीम मेंबर – करण और विवेक – को दूसरी ओर भेजा ताकि फीनिक्स भ्रमित हो जाए।

रिया ने चुपके से गुप्त द्वार से अंदर प्रवेश किया। लेकिन जैसे ही वह अंदर गई, उसने देखा कि जगह खाली नहीं थी – फीनिक्स के एजेंट्स हर जगह छिपे हुए थे।

रिया ने अपने माइक्रो कैमरे का इस्तेमाल किया। कैमरा ने उसे एजेंट्स की स्थिति और उपकरणों की जानकारी दी। उसने देखा कि फीनिक्स खुद एक ऊपरी मंजिल से उसे देख रहा था।

“तुम सोचती हो कि मुझे पकड़ सकती हो?” फीनिक्स ने हंसते हुए कहा।

रिया ने अपने डिजिटल उपकरणों से फीनिक्स के लैपटॉप को हैक किया और उसके सुरक्षा डिवाइस को निष्क्रिय किया। फीनिक्स को एहसास हुआ कि अब उसका समय कम है।

रिया ने देखा कि फीनिक्स की नजरें अचानक नरम हुईं। उसने कहा, “तुम मेरी योजनाओं को रोकने में सक्षम हो, लेकिन यह मिशन मेरे लिए व्यक्तिगत भी है। मेरे भाई को तुमने पिछले ऑपरेशन में पकड़ लिया था।”

रिया के लिए यह झटका था। उसे एहसास हुआ कि जासूसी की दुनिया में कभी-कभी व्यक्तिगत भावनाएं मिशन में हस्तक्षेप कर सकती हैं। लेकिन उसने अपने प्रोफेशनल कर्तव्य को याद किया।

रिया ने फीनिक्स को सीधे मुकाबले में घेर लिया। फीनिक्स ने अपने डिवाइस से एक धमाके की धमकी दी। रिया ने शांत रहकर ड्रोन से एक EMP सिग्नल भेजा, जिससे सभी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस अस्थायी रूप से निष्क्रिय हो गए।

फिर रिया ने फीनिक्स को पकड़ लिया। इस बार, वह न केवल उसे पकड़ रही थी, बल्कि पूरे नेटवर्क की एक शाखा को भी खत्म कर रही थी।

विवेक और करण ने तुरंत फील्ड टीम के साथ मिलकर फीनिक्स के एजेंट्स को काबू में किया। अनु ने डिजिटल डेटा सुरक्षित किया।

रिया ने खुफिया विभाग को रिपोर्ट भेजी:
"मिशन पूरा हुआ। फीनिक्स और उसकी शाखा सुरक्षित काबू में हैं, लेकिन मुख्य नेटवर्क अभी भी सक्रिय हो सकता है।"

रिया खिड़की के पास खड़ी थी। उसने मुंबई की रात की रोशनी को देखा। उसे पता था कि यह जीत अंतिम नहीं थी। अंतरराष्ट्रीय जासूसों का खेल कभी खत्म नहीं होता।

लेकिन आज उसने साबित कर दिया – सूझबूझ, साहस और तकनीक के मेल से कोई भी जाल फेंक सकता है

रिया ने खुद से कहा, “कल फिर नई चुनौती आएगी। और मैं तैयार रहूंगी।”



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