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अंधकार के बाद उजाला

सिया एक छोटे शहर में जन्मी थी , जहाँ हर घर में सीमित संसाधन और छोटे सपने ही रहते थे। उसके पिता एक सरकारी कर्मचारी थे , जो अपनी जिम्मेदारियों में व्यस्त रहते और अक्सर थके हुए घर लौटते , जबकि माँ घर संभालती और छोटी-छोटी खुशियों को जुटाने की कोशिश करतीं। बचपन से ही सिया ने गरीबी और संघर्ष को बहुत करीब से महसूस किया था। स्कूल में उसके पास सही किताबें या नए कपड़े नहीं होते थे , और अक्सर बच्चे उसका मजाक उड़ाते थे , लेकिन सिया हमेशा चुप रहती , अपने दिल में छोटे-छोटे सपनों को पनपाती। उसकी आँखों में एक अजीब सी चमक थी , जो उसके भीतर छुपी उम्मीद और आत्मविश्वास को दर्शाती थी। समय बीतता गया और सिया के पिता की तबीयत अचानक बिगड़ गई। परिवार पर आर्थिक दबाव बढ़ गया , और सिया को समझना पड़ा कि अब वह केवल अपनी पढ़ाई तक ही सीमित नहीं रह सकती , बल्कि घर के लिए भी जिम्मेदारियों को उठाना होगा। कई बार उसने स्कूल छोड़कर काम करने का सोचा , लेकिन माँ ने उसकी किताबों को गले लगाकर कहा , “ सिया , अगर तुम पढ़ाई छोड़ दोगी तो हमारे सपने भी अधूरे रह जाएंगे।” उस दिन सिया ने पहली बार अपने भीतर एक अडिग संकल्प महसूस किया। ...

परछाइयों का चक्रव्यूह

 

कोहरे के भीतर

दिल्ली की सर्द सुबह हमेशा कुछ न कुछ छिपाकर रखती है। उस दिन कोहरा इतना घना था कि लुटियंस ज़ोन की चौड़ी सड़कें भी किसी अजनबी शहर की तरह लग रही थीं। हवा में नमी थी और सन्नाटा अस्वाभाविक। आरव सिंह अपनी बालकनी में खड़ा नीचे बहते ट्रैफिक को देख रहा था। बाहर की दुनिया सामान्य थी—ऑफिस जाते लोग, चाय की दुकानों से उठती भाप, अख़बार बेचने वालों की आवाज़—लेकिन आरव जानता था कि यह सामान्यता सिर्फ़ एक भ्रम है।

आरव की ज़िंदगी हमेशा से दो हिस्सों में बंटी रही थी। एक वह, जो सरकारी काग़ज़ों में विदेश मंत्रालय का भाषा विशेषज्ञ था—शांत, अकेला और नियमों का पालन करने वाला। दूसरा वह, जिसे सिर्फ़ कुछ लोग जानते थे—भारत की शीर्ष गुप्त खुफिया एजेंसी अग्निचक्र” का फील्ड ऑपरेटिव, जिसका काम उन लड़ाइयों को लड़ना था जिनका ज़िक्र कभी इतिहास में नहीं होता।

उसने अपनी कलाई घड़ी देखी। ठीक 6:30 बजे। तभी उसकी जेब में रखा सुरक्षित फोन हल्के से कंपन किया। स्क्रीन पर कोई नंबर नहीं था, सिर्फ़ एक पंक्ति उभरी—

चक्रव्यूह सक्रिय हो चुका है।”

आरव की उंगलियाँ सख़्त हो गईं। यह कोड वाक्य वर्षों से इस्तेमाल नहीं हुआ था। इसका मतलब सिर्फ़ एक था—एक ऐसा ऑपरेशन, जिसे कभी अधूरा छोड़ दिया गया था, फिर से जीवित हो चुका है। और जब ऐसा होता है, तो देश हिलते हैं।

अग्निचक्र का बुलावा

अग्निचक्र का मुख्यालय नक़्शों में मौजूद नहीं था। दिल्ली से बाहर एक निर्जन क्षेत्र में स्थित यह परिसर कंक्रीट और स्टील से बना हुआ था, लेकिन इसकी असली मज़बूती इसकी गोपनीयता थी। यहाँ नाम नहीं पूछे जाते थे, सिर्फ़ कोड और पहचान संकेत चलते थे।

आरव को सीधे निदेशक के कक्ष में बुलाया गया।

राघव मेनन—अग्निचक्र के प्रमुख—सफेद बालों और थकी हुई आँखों वाले व्यक्ति थे। उन्होंने बिना भूमिका के बोलना शुरू किया, “शैडो क्राउन वापस आ गया है।”

आरव की भौंहें तन गईं। शैडो क्राउन एक मिथक जैसा था—एक अंतरराष्ट्रीय गुप्त संगठन, जिसके बारे में पुख्ता सबूत कभी नहीं मिले थे। माना जाता था कि वह सरकारों को गिराने, बाज़ारों को अस्थिर करने और तकनीक को हथियार बनाने में विश्वास रखता है।

इस बार उनके पास सिर्फ़ विचार नहीं हैं,” मेनन ने फाइल आगे बढ़ाते हुए कहा, “उनके पास संसाधन हैं।”

फाइल में तस्वीरें थीं—हथियारों की डील, एन्क्रिप्टेड सर्वर, और कुछ चेहरे… जिनमें से एक चेहरा देखकर आरव की साँस अटक गई।

यह दुबई है,” मेनन बोले, “तुम्हारा पहला पड़ाव।”

रेत और शीशे का शहर

दुबई हमेशा से दो दुनियाओं का शहर रहा है—ऊपर शीशे और सोने की चमक, नीचे सौदों और साज़िशों की गहराई। आरव यहाँ आरियन ख़ान, एक अंतरराष्ट्रीय निवेशक, बनकर पहुँचा था। महंगे सूट, नकली पासपोर्ट और एक झूठी ज़िंदगी—यह सब उसके लिए नया नहीं था।

यहीं उसकी नज़र पड़ी मीरा क़ाज़ी पर।

मीरा काजी पत्रकार थी—ज़िद्दी, तेज़ और खतरनाक हद तक ईमानदार। वह उन हथियार सौदों की जाँच कर रही थी जिनका कोई आधिकारिक रिकॉर्ड नहीं था। उसे नहीं पता था कि वह किसके दरवाज़े खटखटा रही है।

आरव ने उससे जानबूझकर टकराव कराया—एक कॉन्फ़्रेंस के दौरान।

आप भी निवेशक हैं?” मीरा ने मुस्कराते हुए पूछा।

कुछ ऐसा ही,” आरव ने जवाब दिया।

उसे पता था—मीरा के पास जानकारी है, और शैडो क्राउन को भी यह पता है।

जब गोलियाँ बोलती हैं

उस रात दुबई की पार्किंग में हवा भारी थी। मीरा ने जैसे ही अपने लैपटॉप से फाइल ट्रांसफर की, अंधेरे में हलचल हुई।

पहली गोली शीशे को चीरती हुई निकली।

आरव ने मीरा को ज़मीन पर खींच लिया। हमलावर चार थे—साइलेंसर लगे हथियार, पेशेवर चाल। यह कोई स्थानीय गुंडे नहीं थे।

आरव ने जवाबी कार्रवाई की। सब कुछ सेकंडों में हुआ। धूल, आवाज़ और डर।

जब सब शांत हुआ, मीरा कांप रही थी।

उसने आरव की ओर देखा, “तुम… तुम कौन हो?”

आरव ने कोई जवाब नहीं दिया।

लेकिन उस पल मीरा समझ चुकी थी—वह एक कहानी के नहीं, बल्कि एक युद्ध के बीच खड़ी है।

बर्लिन की अंडरग्राउंड दुनिया

बर्लिन हमेशा से आरव के लिए एक अजीब शहर रहा था। यह शहर जितना ऊपर से आधुनिक दिखता था, उतना ही नीचे से अतीत के घावों से भरा हुआ था। दीवारें गिर चुकी थीं, लेकिन उनकी परछाइयाँ अब भी लोगों के दिमाग़ में मौजूद थीं। आरव और मीरा एक साधारण से अपार्टमेंट में रुके थे, जो बाहर से बिल्कुल सामान्य दिखता था, लेकिन भीतर अग्निचक्र का अस्थायी सेफहाउस था।

मीरा अब सवाल पूछने से नहीं डर रही थी।

तुम्हें पता था न कि वो लोग आएँगे?” उसने धीमी आवाज़ में पूछा।

आरव ने खिड़की से बाहर देखा। “मुझे शक था।”

और मुझे?” मीरा की आवाज़ में गुस्सा नहीं, बल्कि ठंडा यथार्थ था।

आरव ने पहली बार सीधे उसकी आँखों में देखा। “अगर पहले बता देता, तो शायद तुम यहाँ न होती।”

मीरा कुछ पल चुप रही। फिर बोली, “तो अब मुझे पूरा सच चाहिए।”

आरव जानता था—अब आधे सच से काम नहीं चलेगा।

कबीर वर्मा

बर्लिन की एक पुरानी मेट्रो लाइन के नीचे, छोड़ी जा चुकी सुरंगों में शैडो क्राउन का डेटा नोड छिपा था। यह जगह कभी नाज़ी बंकर हुआ करती थी—इतिहास की हिंसा पर खड़ा वर्तमान का षड्यंत्र।

जब आरव ने अंदर प्रवेश किया, तो उसके हाथ अपने आप काँप गए।

क्योंकि सामने लगी स्क्रीन पर एक चेहरा उभरा।

कबीर वर्मा।

वही आँखें। वही ठंडी मुस्कान।

हैलो, आरव,” स्क्रीन से आवाज़ आई, “काफ़ी समय हो गया।”

आरव का दिल ज़ोर से धड़का। “तुम मर चुके हो।”

कबीर हँसा। “नहीं, दोस्त। सिस्टम ने बस मुझे छोड़ दिया था।”

यादें उमड़ पड़ीं—दोनों का प्रशिक्षण, एक-दूसरे की जान बचाना, और फिर वो मिशन… जहाँ कबीर को मरा हुआ घोषित कर दिया गया था।

शैडो क्राउन तुम हो?” आरव ने पूछा।

मैं नहीं,” कबीर ने जवाब दिया, “शैडो क्राउन एक विचार है। और विचार मरते नहीं।”

टूटा हुआ विश्वास

कबीर ने आरव को अपना सच बताया।

वह मिशन, जिसमें उसे मृत मान लिया गया था, दरअसल एक राजनीतिक बलि थी। एक गलती छुपाने के लिए उसे छोड़ दिया गया। कोई बचाव नहीं, कोई जाँच नहीं। तभी कबीर ने तय किया—वह उस सिस्टम को ही तोड़ देगा जो अपने सैनिकों को मोहरे समझता है।

तुम अब भी उसी सिस्टम के लिए काम कर रहे हो,” कबीर ने कहा, “जो तुम्हें भी एक दिन छोड़ देगा।”

आरव कुछ नहीं बोला।

क्योंकि कहीं न कहीं, वह जानता था—कबीर पूरी तरह ग़लत नहीं है।

अग्निचक्र के भीतर अंधेरा

उसी रात अग्निचक्र से आया संदेश आरव के संदेह को सच में बदल गया।

उनकी लोकेशन लीक हो चुकी थी।

कुछ ही मिनटों में सेफहाउस पर हमला हुआ। यह कोई शैडो क्राउन का हमला नहीं था—यह बहुत ज़्यादा साफ़ और योजनाबद्ध था।

यह अंदर का काम है,” आरव ने मीरा से कहा।

भागते हुए, गोलीबारी के बीच, आरव ने फैसला किया—अब वह किसी पर भरोसा नहीं करेगा। न एजेंसी, न सिस्टम।

मीरा ने दौड़ते हुए पूछा, “तो अब?”

आरव रुका, साँस लेते हुए बोला, “अब हम अकेले हैं।”

मीरा का चुनाव

एक पुराने चर्च में छिपे हुए, मीरा ने अपना लैपटॉप खोला।

अगर मैं मर गई,” उसने कहा, “तो ये सब डेटा बाहर जाना चाहिए।”

आरव ने उसकी ओर देखा। “तुम अब भी पत्रकार बनकर सोच रही हो।”

मीरा मुस्कराई। “और तुम अब भी जासूस बनकर।”

उस रात मीरा ने फैसला किया—वह कहानी लिखेगी। नामों के बिना, लेकिन सच के साथ।

आरव ने पहली बार महसूस किया—वह सिर्फ़ किसी मिशन को नहीं, बल्कि किसी इंसान को बचाना चाहता है।

ब्लैक सन

कबीर का अंतिम हथियार था ब्लैक सन”

एक ऐसा साइबर अटैक जो दुनिया की बैंकिंग, बिजली और संचार व्यवस्था को एक साथ ठप कर सकता था। यह कोई बम नहीं था—यह भरोसे का अंत था।

इसका नियंत्रण था नॉर्वे के आर्कटिक क्षेत्र में बने एक गुप्त डेटा सेंटर में।

आरव जानता था—अगर ब्लैक सन सक्रिय हुआ, तो दुनिया कुछ घंटों में बदल जाएगी।

मैं जाऊँगा,” आरव ने कहा।

मीरा ने कुछ नहीं कहा। उसने सिर्फ़ सिर हिलाया।

बर्फ़ की ओर

नॉर्वे की उड़ान में आरव ने पहली बार डर को महसूस किया।

मौत का नहीं।

चुनाव का।

क्या वह कबीर की तरह टूट सकता था?
क्या वह भी सिस्टम से हार सकता था?

उसने आँखें बंद कीं।

और एक ही बात दोहराई—
मैं अराजकता नहीं चुनूँगा।”

बर्फ़ के नीचे

नॉर्वे का आर्कटिक क्षेत्र किसी दूसरी दुनिया जैसा लगता था। चारों ओर सफ़ेद बर्फ़ का अंतहीन विस्तार, आसमान में लगातार घूमते बादल और हवा में ऐसी ठंड जो हड्डियों तक उतर जाए। यहाँ प्रकृति खुद पहरेदार थी। इसी वीराने के नीचे शैडो क्राउन का सबसे बड़ा रहस्य छिपा था—एक अत्याधुनिक डेटा सेंटर, जिसे दुनिया के नक़्शों से मिटा दिया गया था।

आरव हेलिकॉप्टर से उतरते ही समझ गया कि यहाँ कोई गलती माफ़ नहीं होगी। उसका हर कदम अंतिम हो सकता था। प्रवेश द्वार तक पहुँचते-पहुँचते बर्फ़ीला तूफ़ान शुरू हो चुका था। सेंसर, कैमरे और स्वचालित हथियार—यह जगह किसी क़िले से कम नहीं थी।

आरव ने अपने उपकरण सक्रिय किए और भीतर दाख़िल हो गया।

ब्लैक सन का दिल

डेटा सेंटर का मुख्य कक्ष किसी गिरजाघर जैसा विशाल था। चारों ओर चमकते सर्वर, नीली रोशनी और लगातार गूंजती मशीनों की आवाज़। यही था ब्लैक सनएक ऐसा कोड, जो सक्रिय होते ही दुनिया की नसों पर वार कर देता।

आरव ने सिस्टम में घुसपैठ शुरू की, लेकिन तभी परिचित आवाज़ गूंजी।

तुम आ ही गए।”

कबीर सामने खड़ा था। मोटा कोट, शांत चेहरा और आँखों में अडिग विश्वास।

अकेले?” कबीर ने पूछा।

जैसे हमेशा,” आरव ने जवाब दिया।

विचारधाराओं की जंग

दोनों आमने-सामने खड़े थे। हथियार नीचे थे, लेकिन तनाव आसमान छू रहा था।

तुम अब भी मानते हो कि सिस्टम सुधर सकता है?” कबीर ने पूछा।

मैं मानता हूँ कि अराजकता समाधान नहीं है,” आरव बोला।

कबीर हँसा। “यह दुनिया झूठे संतुलन पर टिकी है। ब्लैक सन उसे हिला देगा। लोग जागेंगे।”

लोग मरेंगे,” आरव ने कहा।

कबीर कुछ पल चुप रहा। “कभी-कभी कीमत चुकानी पड़ती है।”

आरव ने तभी फैसला कर लिया—यह लड़ाई यहीं खत्म करनी होगी।

अंतिम टकराव

अलार्म बज उठे। दोनों ने हथियार उठा लिए।

गोलीबारी सीमित थी, सटीक और घातक। सर्वर रूम में गोलियों की आवाज़ गूंज रही थी। आरव ने सिस्टम में वायरस अपलोड करना शुरू किया।

कबीर समझ गया।

अब भी लौट आओ,” उसने आख़िरी बार कहा।

आरव ने सिर हिलाया। “मैंने अपना चुनाव कर लिया है।”

एक विस्फोट हुआ। आग और धुआँ फैल गया। बर्फ़ीले तूफ़ान ने ऊपर से सेंटर को जकड़ लिया।

कबीर ने भागने की कोशिश की, लेकिन गिरती हुई संरचना के नीचे दब गया।

आरव ने आख़िरी बार उसकी ओर देखा—दोस्त, दुश्मन, एक ही साथ।

शांति का क्षण

ब्लैक सन निष्क्रिय हो चुका था।

डेटा सेंटर धीरे-धीरे बर्फ़ में समा रहा था। आरव किसी तरह बाहर निकल आया। हेलिकॉप्टर की आवाज़ दूर से सुनाई दी।

उसने आसमान की ओर देखा।

पहली बार उसे लगा—वह बच गया है।

सच की कीमत

कुछ महीने बाद।

दिल्ली में सब कुछ सामान्य लग रहा था। मीरा की रिपोर्ट अंतरराष्ट्रीय मीडिया में छपी—बिना नामों के, बिना चेहरों के।

सरकारों ने खंडन किए, लेकिन सच्चाई बाहर आ चुकी थी।

मीरा और आरव एक बार मिले।

अब?” मीरा ने पूछा।

आरव मुस्कराया। “अब अगली परछाई।”

अंत नहीं

आरव फिर उसी बालकनी में खड़ा था। नीचे शहर चल रहा था—अनजान, सुरक्षित।

उसका फोन शांत था।

लेकिन वह जानता था—यह शांति अस्थायी है।

परछाइयों का चक्रव्यूह कभी खत्म नहीं होता।

वह सिर्फ़ नए रास्ते बनाता है।

आरव ने कोट उठाया, एक गहरी साँस ली और आगे बढ़ गया।

 

 

 

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