विजयनगर साम्राज्य के राजा कृष्णदेव राय अपने न्याय और बुद्धिमत्ता के लिए प्रसिद्ध थे। उनके दरबार में तेनाली राम नाम का एक विद्वान रहता था, जिसकी चतुराई और हाज़िरजवाबी की चर्चा दूर-दूर तक थी। एक दिन राजा के दरबार में एक गंभीर मामला आया।
एक बूढ़ा किसान रोता हुआ दरबार में पहुँचा। उसने बताया कि उसके पड़ोसी सेठ ने उसकी ज़मीन पर कब्ज़ा कर लिया है और उसके पास कोई लिखित प्रमाण नहीं बचा है।
सेठ बहुत अमीर और प्रभावशाली था। उसने कहा,
“महाराज, यह ज़मीन मेरे परिवार की है। यह किसान झूठ बोल रहा है।”
राजा दुविधा में पड़ गए। बिना प्रमाण के फैसला करना कठिन था। तभी तेनाली राम आगे आए।
तेनाली राम ने कहा,
“महाराज, अगर आज्ञा हो तो मैं इस मामले की सच्चाई स्वयं उजागर करना चाहता हूँ।”
राजा ने अनुमति दे दी।
तेनाली राम ने किसान से पूछा,
“तुम्हारी ज़मीन की सीमा क्या थी?”
किसान बोला,
“महाराज, मेरी ज़मीन के बीच एक पुराना पीपल का पेड़ था।”
सेठ तुरंत बोला,
“वह पेड़ तो मेरी ज़मीन में है।”
तेनाली राम मुस्कराए।
तेनाली राम ने कहा,
“ठीक है। हम पीपल के पेड़ से ही पूछ लेते हैं कि वह किसकी ज़मीन में है।”
दरबार में सब हँस पड़े। सेठ भी निश्चिंत हो गया।
तेनाली राम ने सिपाहियों को आदेश दिया कि सेठ को उसी पेड़ के पास कुछ देर के लिए खड़ा किया जाए, जबकि किसान को महल में बैठाया जाए।
कुछ समय बाद तेनाली राम पेड़ के पास गए और बोले,
“पेड़ ने कहा है कि किसान सच बोल रहा है।”
सेठ घबरा गया और बोला,
“यह झूठ है! पेड़ ऐसा कैसे कह सकता है?”
तेनाली राम ने तुरंत कहा,
“अच्छा! यानी तुम जानते हो कि पेड़ क्या बोलेगा? इसका मतलब तुम पहले से सच्चाई जानते हो।”
सेठ की घबराहट ने सब कुछ साफ कर दिया।
राजा कृष्णदेव राय ने तुरंत निर्णय सुनाया। ज़मीन किसान को लौटा दी गई और सेठ को दंड दिया गया।
राजा ने कहा,
“तेनाली राम, तुमने बिना दस्तावेज़ के भी सत्य सामने ला दिया।”
तेनाली राम ने विनम्रता से उत्तर दिया,
“महाराज, सच छुप नहीं सकता, बस उसे उजागर करने की बुद्धि चाहिए।”
सीख
👉 सच्चाई और बुद्धिमत्ता के आगे झूठ अधिक देर टिक नहीं सकता।
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