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अंधकार के बाद उजाला

सिया एक छोटे शहर में जन्मी थी , जहाँ हर घर में सीमित संसाधन और छोटे सपने ही रहते थे। उसके पिता एक सरकारी कर्मचारी थे , जो अपनी जिम्मेदारियों में व्यस्त रहते और अक्सर थके हुए घर लौटते , जबकि माँ घर संभालती और छोटी-छोटी खुशियों को जुटाने की कोशिश करतीं। बचपन से ही सिया ने गरीबी और संघर्ष को बहुत करीब से महसूस किया था। स्कूल में उसके पास सही किताबें या नए कपड़े नहीं होते थे , और अक्सर बच्चे उसका मजाक उड़ाते थे , लेकिन सिया हमेशा चुप रहती , अपने दिल में छोटे-छोटे सपनों को पनपाती। उसकी आँखों में एक अजीब सी चमक थी , जो उसके भीतर छुपी उम्मीद और आत्मविश्वास को दर्शाती थी। समय बीतता गया और सिया के पिता की तबीयत अचानक बिगड़ गई। परिवार पर आर्थिक दबाव बढ़ गया , और सिया को समझना पड़ा कि अब वह केवल अपनी पढ़ाई तक ही सीमित नहीं रह सकती , बल्कि घर के लिए भी जिम्मेदारियों को उठाना होगा। कई बार उसने स्कूल छोड़कर काम करने का सोचा , लेकिन माँ ने उसकी किताबों को गले लगाकर कहा , “ सिया , अगर तुम पढ़ाई छोड़ दोगी तो हमारे सपने भी अधूरे रह जाएंगे।” उस दिन सिया ने पहली बार अपने भीतर एक अडिग संकल्प महसूस किया। ...

छाया में मिशन

 

नई दिल्ली की रात अपने काले आसमान में चमकते शहर के दीयों और गाड़ियों की रोशनी से जगमगा रही थी। राजीव शेखर, एक कुशल और अनुभवी जासूस, चुपचाप अपने अपार्टमेंट की खिड़की से बाहर देख रहा था। उसके हाथ में एक सिगरेट थी, लेकिन उसकी नजरें सड़क पर घुसपैठ करने वाले किसी अदृश्य खतरे पर टिकी थीं। उसे कल रात एक गुप्त सूचना मिली थी कि अंतरराष्ट्रीय जासूसी नेटवर्क का एक सदस्य, जिसे केवल कोड नाम "फैंटम" कहा जाता था, भारत में प्रवेश कर चुका है।

राजीव का दिमाग तेजी से योजना बना रहा था। फैंटम की जानकारी जुटाने के लिए उसे अकेले काम करना था, क्योंकि किसी अन्य एजेंसी का हस्तक्षेप मिशन को खतरे में डाल सकता था। उसकी पहली जिम्मेदारी थी राजधानी के व्यापार जिले में एक अंधेरी गली का निरीक्षण करना। गली में कुछ भी असामान्य दिखना राजीव के लिए पहला संकेत था।

जैसे ही वह गली में पहुँचा, उसने देखा कि एक छोटा कैफे, जो दिन में आम लोगों के लिए खुला रहता था, रात के समय बंद था, लेकिन उसकी खिड़कियों में हल्की रोशनी जल रही थी। राजीव ने अपनी जैकेट की आस्तीन में छुपाए हुए छोटे कैमरे को चालू किया और धीरे-धीरे कैफे की ओर बढ़ा। उसने देखा कि अंदर दो लोग बड़ी तेज़ी से किसी कागज़ पर कुछ लिख रहे थे।

राजीव ने अपनी रेडियो डिवाइस से अंदरूनी टीम को संकेत भेजा। यह मिशन केवल निरीक्षण का नहीं था; यह एक जटिल योजना थी जिसमें हर कदम का हिसाब रखना जरूरी था। तभी उसने देखा कि कागज़ पर लिखी गई एक पंक्ति उसके लिए सीधे संदेश की तरह लग रही थी—“रात के तीन बजे, पुराने रेलवे गोदाम पर।

राजीव ने तुरंत अपनी घड़ी पर समय देखा—तीन बजे तक केवल तीन घंटे बचे थे। वह जानता था कि अगर वह देर करेगा तो फैंटम फिर से अपने निशान मिटा देगा। उसने अपार्टमेंट लौटते हुए गहरी सांस ली और अपने दिमाग को अगले चरण की योजना में लगाना शुरू किया।

उसके पास केवल तीन चीजें थीं—तेज़ दिमाग, कुछ तकनीकी उपकरण, और बिना किसी शक के गुप्त पहचान। जैसे ही रात बढ़ी, उसने पुराने रेलवे गोदाम की दिशा में कदम बढ़ाए। हर कदम पर उसके कानों में खामोशी की आवाज़ थी और हर छायाओं में खतरे की झलक।

गोधाम पहुँचते ही उसे एक अजीब खामोशी का अहसास हुआ। वहां पुरानी लोहे की छतें, टूटी दीवारें और घास के बीच छुपी हुई पुरानी रेल लाइनों का दृश्य था। अचानक, उसने दूर एक हल्की रोशनी देखी और उसके भीतर फैंटम की परछाई नजर आई। राजीव ने अपने रात्रि दृष्टि वाले चश्मे को ऑन किया और धीरे-धीरे छिपते हुए फैंटम के करीब गया।

फैंटम ने बिना किसी हड़बड़ी के एक छोटा बैग खोला और उसमें कुछ दस्तावेज़ रखे। राजीव ने अपने कैमरे से हर चीज़ रिकॉर्ड करना शुरू किया। तभी अचानक फैंटम ने अपनी निगाहें चारों तरफ़ घुमाईं—राजीव ने समय रहते अपनी पहचान छुपाई। लेकिन तभी, फैंटम ने मोबाइल पर किसी को कॉल कर दी। राजीव को समझ आ गया कि अब स्थिति और गंभीर हो चुकी थी।

यह सिर्फ एक साधारण जासूसी मिशन नहीं था। राजीव अब फैंटम के खेल में सीधे शामिल हो चुका था। उसे अपनी चाल इतनी बुद्धिमानी से चलनी थी कि फैंटम को शक न हो और वह भारत में अपनी योजना को सफल न कर पाए।

रात का सन्नाटा, पुराने गोदाम की छायाएँ, और फैंटम की रहस्यमय हरकतें—सभी मिलकर एक खतरनाक खेल की शुरुआत कर रहे थे। राजीव ने खुद से कहा, “यह मिशन सिर्फ मेरी हिम्मत की परीक्षा नहीं, बल्कि मेरी समझदारी और धैर्य की कसौटी भी है।”

खतरे की परछाई

राजीव गोदाम की एक पुरानी लोहे की रेलिंग के पीछे छिपा था। उसकी सांसें धीमी और नियंत्रित थीं, लेकिन दिमाग़ तेज़ी से काम कर रहा था। फैंटम ने बैग से दस्तावेज़ निकाले और उनके बीच किसी गुप्त नक्शे पर उंगलियों से इशारे करने लगा। राजीव ने अपनी पॉकेट कैमरा से हर विवरण रिकॉर्ड किया।

जैसे ही फैंटम ने दस्तावेज़ बंद किए, उसने अचानक बैग के अंदर से एक छोटा इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस निकाला और उसे जमीन पर रखा। उपकरण से हल्की ह्यूमन जैसी आवाज़ आने लगी, जो सिर्फ़ आसपास के कुछ मीटर में सुनाई दे रही थी। राजीव समझ गया कि यह कोई सामान्य डिवाइस नहीं थी—यह किसी संवेदनशील जानकारी को ट्रांसमिट करने वाला उपकरण था।

राजीव ने धीरे से अपने रेडियो में अपनी टीम को संदेश भेजा, लेकिन तभी फैंटम ने अचानक चारों ओर देखा। राजीव तुरंत छिपा, लेकिन फैंटम ने अपने कैमरे से उसकी परछाई पकड़ने की कोशिश की। राजीव की धड़कन तेज हो गई—हर कदम गलत पड़ सकता था।

फैंटम ने बैग उठाया और धीरे-धीरे गोदाम की दूसरी ओर बढ़ने लगा। राजीव ने देखा कि फैंटम पुराने रेलवे ट्रैक के नीचे बने सुरंग की ओर जा रहा है। सुरंग में अजीब तरह की रोशनी और इलेक्ट्रॉनिक सायरन की हल्की आवाज़ आ रही थी। राजीव को समझ आ गया कि फैंटम किसी बड़े ऑपरेशन का हिस्सा था।

राजीव ने अपनी तकनीकी उपकरणों से सुरंग की निगरानी शुरू की। उसने एक माइक्रो ड्रोन छोड़ा, जो फैंटम के हर कदम को रिकॉर्ड कर रहा था। ड्रोन की नजर में फैंटम ने कुछ संदिग्ध व्यक्ति के साथ हाथ मिलाया और दस्तावेज़ों का आदान-प्रदान किया। राजीव ने देखा कि इसमें अंतरराष्ट्रीय स्तर की जासूसी का जाल बुना गया था।

लेकिन तभी अचानक, सुरंग के अंदर एक तेज़ रोशनी और सायरन की आवाज़ ने माहौल को और खतरनाक बना दिया। फैंटम ने अपने साथी को चेतावनी दी और एक छिपी हुई दरवाज़े की ओर भागा। राजीव ने अपने रेडियो से टीम को अलर्ट किया, लेकिन यह ऑपरेशन अब अकेले ही संभालना पड़ रहा था।

राजीव ने अपने दिमाग़ में योजना बनाई—फैंटम को पकड़ने के लिए उसे खुद को और अधिक जोखिम में डालना पड़ेगा। उसने धीरे-धीरे सुरंग में प्रवेश किया, अपने कदम इतनी चुप्पी से रखा कि फैंटम को शक न हो। हर मोड़ पर वह अपने उपकरणों से सुरंग के अंदर की हर हलचल रिकॉर्ड करता रहा।

सुरंग के अंतिम मोड़ पर राजीव ने देखा कि फैंटम एक बड़े कमरे में पहुँच गया, जहां कई कंप्यूटर और तकनीकी उपकरण लगे हुए थे। फैंटम ने अपने साथी के साथ मिलकर कुछ कोड दर्ज किए और स्क्रीन पर एक नक्शा उभर गया, जो शहर के प्रमुख बुनियादी ढांचे को दिखा रहा था।

राजीव का दिल तेज़ी से धड़कने लगा। उसने समझ लिया कि फैंटम किसी बड़े हमले की योजना बना रहा था। अगर वह अब कार्रवाई नहीं करेगा, तो खतरा पूरे शहर के लिए घातक हो सकता था।

राजीव ने अपने वॉकी-टॉकी से टीम को संकेत दिया और खुद को फैंटम के करीब करने का साहसिक कदम बढ़ाया। वह जानता था कि एक गलती उसे या तो पकड़वा सकती है या फैंटम को अपना काम पूरा करने का मौका दे सकती है।

साथ ही, राजीव ने अपने मन में ठाना—यह सिर्फ जासूसी का मिशन नहीं, बल्कि देश की सुरक्षा का सबसे बड़ा खेल बन चुका था। फैंटम के सामने, राजीव अब केवल अपने दिमाग और साहस पर भरोसा कर सकता था।

आमने-सामने

सुरंग के उस अंधेरे कमरे में, राजीव ने फैंटम को करीब से देखा। कंप्यूटर स्क्रीन की नीली रोशनी में उसकी परछाई और भी डरावनी लग रही थी। फैंटम ने दस्तावेज़ों को अपने बैग में वापस रखा और जैसे ही मुड़ा, राजीव ने कदम बढ़ाया।

तुम कौन हो?” फैंटम ने अचानक अपनी तेज़ आवाज़ में पूछा, मानो हवा में ही किसी खतरे की खुशबू पकड़ ली हो। राजीव ने खुद को शांत रखा। “मैं बस… निरीक्षण कर रहा था,” उसने धीमी और स्थिर आवाज़ में जवाब दिया।

लेकिन फैंटम ने उसकी हरकतों में छिपे झूठ को भांप लिया। उसने तुरंत एक इलेक्ट्रॉनिक उपकरण चालू किया, जिससे कमरे में हल्की जमीनी कंपन जैसी आवाज़ गूँज उठी। राजीव ने महसूस किया कि अब स्थिति नियंत्रण से बाहर हो सकती है।

फैंटम ने बैग खोला और उसमें से एक छोटी-सी मशीन निकाली, जिसमें तारों का जाल और blinking lights थीं। राजीव समझ गया कि यह कोई साधारण जासूसी उपकरण नहीं था; यह शहर के बुनियादी ढांचे में छेड़छाड़ करने वाला sophisticated ट्रैकिंग और saboteur डिवाइस था।

राजीव ने तुरंत अपनी जेब से एक EMP (इलेक्ट्रोमैग्नेटिक पल्स) ग्रेनेड निकाला। अगर सही समय पर इस्तेमाल किया गया, तो यह सारे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को निष्क्रिय कर देगा। उसने धीरे-धीरे कदम बढ़ाए, लेकिन फैंटम ने उसे देख लिया।

फैंटम ने अपनी आँखें तेज़ी से चमकाईं, और जैसे ही राजीव ने ग्रेनेड फेंकने की तैयारी की, फैंटम ने अचानक एक शॉर्टकट दरवाज़ा खोलकर भागने की कोशिश की। राजीव ने तुरंत अपने शरीर को झुकाया और ग्रेनेड को सही दिशा में फेंका—धुंध और चिंगारी के बीच, फैंटम को रोकना असंभव हो गया, लेकिन उपकरण और दस्तावेज़ ध्वस्त हो गए।

फैंटम गुस्से में था, लेकिन उसकी चालाकी भी कम नहीं थी। वह अंधेरे सुरंग से निकलकर पुराने रेलवे लाइन के पीछे छुप गया। राजीव ने पीछे नहीं देखा; उसे पता था कि फैंटम केवल एक कदम पीछे नहीं है—वह हर कदम पर आगे था।

राजीव ने अपने रेडियो से टीम को आदेश दिया कि पूरे इलाके को घेर लिया जाए। लेकिन राजीव जानता था कि यह मिशन सिर्फ तकनीकी हथियारों और दस्तावेज़ों तक सीमित नहीं था—फैंटम का असली उद्देश्य मानव नेटवर्क और खुफ़िया सूचनाओं पर हमला करना था।

राजीव ने अपने दिमाग में योजना बनाई। अगर वह फैंटम को अकेले पकड़ने की कोशिश करेगा, तो यह बहुत जोखिम भरा होगा। उसने खुद को मानसिक रूप से तैयार किया—हर कदम, हर निर्णय सोच-समझ कर लेना होगा।

तभी फैंटम ने अपने मोबाइल उपकरण से एक छोटा ड्रोन भेजा, जो राजीव की स्थिति को ट्रैक कर रहा था। राजीव ने अपने डिवाइस से ड्रोन को हैंक करने की कोशिश की। कुछ पल की टकराहट के बाद, ड्रोन फैंटम की ओर मुड़ गया और उसे अपने ही जाल में फंसा लिया।

राजीव ने इस अवसर का फायदा उठाया। वह धीरे-धीरे फैंटम की छिपने की जगह की ओर बढ़ा, हर कदम पर खतरे और रोमांच का मिश्रण था। फैंटम ने देखा कि अब उसका समय खत्म हो रहा है, लेकिन वह भी हार मानने वाला नहीं था।

राजीव और फैंटम अब आमने-सामने थे—दो दिमाग, दो चालाकियाँ, और केवल एक ही विजेता। राजीव ने अंदरूनी ताकत जुटाई, और फैंटम की हर चाल का जवाब अपने दिमाग में पहले से ही तैयार किया।

यह टकराहट सिर्फ शरीर और हथियारों की नहीं थी, बल्कि दिमाग और रणनीति की भी थी। दोनों के बीच एक लम्बी, खामोश घड़ी बीती, जिसमें कोई शब्द नहीं, केवल आंखों की लड़ाई और योजना की परछाइयाँ थीं।

राजीव ने फैंटम की गति का अनुमान लगाया और सही समय पर कदम बढ़ाया। फैंटम ने पलटा, और तभी राजीव ने उसका बैग पकड़ा। फैंटम ने विरोध किया, लेकिन राजीव की पकड़ मजबूत थी।

मिशन पूरा हुआ,” राजीव ने खुद से कहा, लेकिन वह जानता था कि यह केवल पहली जीत थी। फैंटम जैसे मास्टर जासूस को पकड़ना आसान नहीं था। यह केवल शुरुआत थी—एक लंबी, खतरनाक और रोमांचक जासूसी कहानी का।

शहर में पीछा

राजीव ने फैंटम का बैग अपने कब्जे में ले लिया था, लेकिन फैंटम अभी भी हाथ से निकल नहीं चुका था। जैसे ही फैंटम सुरंग से बाहर निकला, वह शहर की गलियों में घुस गया। रात का अंधेरा और हल्की बारिश उसे छिपने का मौका दे रही थी। राजीव ने खुद को जल्दी से तैयार किया—हर कदम पर फैंटम उसे चुनौती दे रहा था।

राजीव ने अपने मोबाइल और टेक्नोलॉजी डिवाइस का इस्तेमाल करते हुए फैंटम की लोकेशन ट्रैक करनी शुरू की। फैंटम ने जैसे ही अपनी तकनीकी चालें शुरू कीं, राजीव ने तुरंत उनके हर कदम को बेअसर करने के लिए counter-technique अपनाई। वह जानता था कि यह अब केवल भौतिक लड़ाई नहीं, बल्कि डिजिटल और मानसिक जंग भी थी।

फैंटम ने अचानक एक गली के कोने में अपने ड्रोन को छोड़ दिया, जो राजीव की हर मूवमेंट को रिकॉर्ड कर रहा था। राजीव ने अपने EMP डिवाइस का इस्तेमाल करते हुए ड्रोन को हैंक किया और उसे फैंटम की ओर मोड़ दिया। ड्रोन की चकमा देने वाली चाल ने फैंटम को एक पल के लिए चौंका दिया।

लेकिन फैंटम ने हार नहीं मानी। वह पुरानी रेलवे लाइन के ऊपर बने एक निर्माण स्थल पर चढ़ गया। वहां ऊँचे लोहे के बीम और पुराने क्रेन उसे छिपने का मौका दे रहे थे। राजीव ने अपनी सांसें रोककर धीरे-धीरे उसकी ओर बढ़ना शुरू किया। हर कदम पर लोहे की आवाज़, बारिश की बूँदों की खनक, और शहर की खामोशी—सबने माहौल को और खतरनाक बना दिया।

जैसे ही फैंटम एक ऊँची लोहे की प्लेट के पीछे छिपा, राजीव ने देखा कि उसके हाथ में छोटा बैग है, जिसमें महत्वपूर्ण दस्तावेज़ और उपकरण हैं। अगर फैंटम सफल होता, तो शहर में बड़े पैमाने पर जासूसी और खतरे की संभावना थी।

राजीव ने अपने मन में योजना बनाई—फैंटम को पकड़ने का तरीका केवल सीधा हमला नहीं, बल्कि चालाकी और रणनीति से करना होगा। उसने पुराने क्रेन के लीवर को धीरे-धीरे हिलाया, जिससे फैंटम का ध्यान एक झटके में उस दिशा की ओर गया। राजीव ने उसी मौके पर छलांग लगाई और फैंटम के पास पहुँच गया।

फैंटम ने विरोध किया, लेकिन राजीव की पकड़ मजबूत थी। दोनों के बीच शारीरिक और मानसिक लड़ाई शुरू हो गई। फैंटम ने तकनीकी उपकरणों का इस्तेमाल करने की कोशिश की, लेकिन राजीव ने हर चाल का जवाब पहले से ही तैयार रखा था।

कुछ मिनटों की संघर्षपूर्ण जंग के बाद, राजीव ने फैंटम को अपने नियंत्रण में ले लिया। फैंटम ने हार मान ली, लेकिन उसकी आँखों में अभी भी चालाकी और खतरनाक योजना की झलक थी। राजीव ने खुद से कहा, “यह खत्म नहीं हुआ, यह केवल एक झटका है।”

फैंटम और राजीव की यह टकराहट शहर की गलियों, पुरानी रेलवे लाइनों और अंधेरी सुरंगों में हुए इस रोमांचक मिशन का केवल एक हिस्सा थी। लेकिन अब राजीव के पास फैंटम और उसके उपकरण हैं, और यह मिशन अगले चरण के लिए तैयार है—जैसे ही वह एजेंसी को रिपोर्ट देगा, नई योजना और खतरे सामने आएंगे।

अंतिम जाल और सफलता

राजीव ने फैंटम को पकड़ लिया था, लेकिन उसे पता था कि यह केवल शुरुआत है। फैंटम की आँखों में अभी भी चालाकी और खतरनाक योजना की झलक थी। राजीव ने अपने रेडियो से टीम को बुलाया और तुरंत उन्हें स्थान पर आने का संकेत दिया। लेकिन उसे पता था कि फैंटम किसी भी समय नई चाल चला सकता है।

फैंटम ने अपने बैग में छुपे उपकरणों में से एक छोटा USB डिवाइस निकाला। “तुम सोचते हो कि मुझे पकड़ लिया गया है?” उसने तीखी आवाज़ में कहा। “मेरे पास अभी भी योजना का अंतिम हिस्सा है।”

राजीव ने तुरंत अपने तकनीकी उपकरणों को सक्रिय किया। उसने USB को सुरक्षा प्रोटोकॉल के तहत लॉक किया और डेटा को सुरक्षित करने के लिए अलग-अलग सर्वर पर ट्रांसफर करना शुरू किया। फैंटम ने देखा कि उसकी चाल अब बेअसर हो चुकी थी।

लेकिन राजीव जानता था कि केवल उपकरणों को सुरक्षित करना ही पर्याप्त नहीं था। फैंटम को मानसिक रूप से भी काबू में करना होगा। उसने धीरे से कहा, “तुम्हारी हर चाल अब रुक गई है। अगर तुम सहयोग करोगे, तो शायद तुम्हारे लिए रास्ता आसान हो।”

फैंटम ने राजीव की आँखों में गंभीरता और दृढ़ता देखी। उसने अंततः माना कि राजीव ही उसका मुकाबला करने वाला अकेला व्यक्ति था। उसने हार मान ली, लेकिन अपनी चालाकी और सूचनाओं का दांव बचाए रखा।

राजीव ने फैंटम के सारे दस्तावेज़ और उपकरण अपने वाहन में सुरक्षित रखे और एजेंसी की ओर रवाना हुआ। रास्ते में उसने योजना बनाई कि इन सूचनाओं से कैसे अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क को बेअसर किया जाए। फैंटम के गुप्त संपर्क और तकनीकी डिवाइस अब पूरी तरह सुरक्षित थे।

एजेंसी पहुँचकर, राजीव ने अपनी रिपोर्ट पूरी ईमानदारी और विस्तार से दी। उसने फैंटम के प्लान, संभावित खतरे और शहर के बुनियादी ढांचे को प्रभावित करने वाले उपकरणों का पूरा विवरण बताया। एजेंसी ने तुरंत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कार्रवाई शुरू की।

फैंटम अब एजेंसी के नियंत्रण में था, और शहर सुरक्षित था। लेकिन राजीव जानता था कि जासूसी का यह खेल कभी खत्म नहीं होता। हर नई मिशन के साथ नए खतरे और नए मास्टर माइंड सामने आते हैं।

राजीव ने अपने ऑफिस की खिड़की से बाहर देखा। सुबह की हल्की रोशनी शहर की गलियों और रेलवे लाइनों पर पड़ रही थी। उसने खुद से कहा, “आज का मिशन खत्म हुआ, लेकिन कहानी अभी जारी है। हर खतरे के पीछे छिपा है अगला खेल। और मैं तैयार हूँ।”

इस तरह, राजीव शेखर ने एक बार फिर साबित किया कि न केवल तेज़ दिमाग, बल्कि धैर्य, योजना और साहस ही जासूसी की दुनिया में असली जीत दिला सकते हैं।

 

 

 

 

 

 

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