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अंधकार के बाद उजाला

सिया एक छोटे शहर में जन्मी थी , जहाँ हर घर में सीमित संसाधन और छोटे सपने ही रहते थे। उसके पिता एक सरकारी कर्मचारी थे , जो अपनी जिम्मेदारियों में व्यस्त रहते और अक्सर थके हुए घर लौटते , जबकि माँ घर संभालती और छोटी-छोटी खुशियों को जुटाने की कोशिश करतीं। बचपन से ही सिया ने गरीबी और संघर्ष को बहुत करीब से महसूस किया था। स्कूल में उसके पास सही किताबें या नए कपड़े नहीं होते थे , और अक्सर बच्चे उसका मजाक उड़ाते थे , लेकिन सिया हमेशा चुप रहती , अपने दिल में छोटे-छोटे सपनों को पनपाती। उसकी आँखों में एक अजीब सी चमक थी , जो उसके भीतर छुपी उम्मीद और आत्मविश्वास को दर्शाती थी। समय बीतता गया और सिया के पिता की तबीयत अचानक बिगड़ गई। परिवार पर आर्थिक दबाव बढ़ गया , और सिया को समझना पड़ा कि अब वह केवल अपनी पढ़ाई तक ही सीमित नहीं रह सकती , बल्कि घर के लिए भी जिम्मेदारियों को उठाना होगा। कई बार उसने स्कूल छोड़कर काम करने का सोचा , लेकिन माँ ने उसकी किताबों को गले लगाकर कहा , “ सिया , अगर तुम पढ़ाई छोड़ दोगी तो हमारे सपने भी अधूरे रह जाएंगे।” उस दिन सिया ने पहली बार अपने भीतर एक अडिग संकल्प महसूस किया। ...

सोनू की नई NS 200 और प्रीति के साथ यादगार लॉन्ग ड्राइव

 

सोनू बचपन से ही बाइक का जबरदस्त शौकीन था। जब भी गली में कोई नई बाइक गुजरती, सोनू ऐसे देखता जैसे दूल्हा दुल्हन को पहली बार देख रहा हो। लेकिन खास लगाव था उसे Bajaj Pulsar NS 200 से।

हर रात सोने से पहले सोनू यूट्यूब पर तीन ही चीज़ें देखता था:

  1. NS 200 का रिव्यू

  2. NS 200 का एक्सॉस्ट साउंड

  3. “NS 200 vs Duke 200”

उसकी माँ परेशान थी।
माँ बोली,
“बेटा, लड़की देखने के वीडियो देख ले, बाइक ही देखता रहता है।”

सोनू बोला,
“माँ, पहले बाइक आएगी, लड़की अपने आप आ जाएगी।”

और सच में… कुछ हद तक ऐसा ही हुआ।

सोनू ने तीन साल पैसे जोड़े थे।
– कभी दोस्तों की पार्टी में नहीं गया
– कभी नया मोबाइल नहीं लिया
– और सबसे बड़ी कुर्बानी… शादी में भी सादा खाना खाया

आखिर वो दिन आ गया जब सोनू शोरूम पहुँचा।

सेल्समैन ने पूछा,
“सर, कौन सा कलर?”

सोनू भावुक हो गया।
“भाई, ऐसा रंग दो कि मोहल्ले वाले जल जाएँ।”

आखिरकार ब्लैक विद रेड ग्राफिक्स फाइनल हुआ।

जब बाइक स्टार्ट हुई,
“ब्र्र्र्र्र….”

सोनू की आँखों में आँसू आ गए।
वो बाइक से बोला,
“अब हम दोनों साथ जिएँगे, साथ मरेंगे।”

पीछे खड़े गार्ड ने सोचा,
“लगता है पहली किस हो रही है।”

प्रीति सोनू की कॉलेज फ्रेंड थी।
बहुत तेज, बहुत बोलने वाली और बहुत ही चालाक।

सोनू ने जैसे ही बाइक की फोटो WhatsApp स्टेटस में लगाई,
प्रीति का मैसेज आया:
“ओहो, अमीर हो गए हो? लॉन्ग ड्राइव पर नहीं ले जाओगे?”

सोनू ने दिल में डायलॉग मारा,
“भगवान, आपने मेरी सुन ली।”

उसने तुरंत रिप्लाई किया:
“कल सुबह 6 बजे, हेलमेट पहनकर रेडी रहना।”

प्रीति बोली,
“मैं पीछे बैठूँगी, बाइक नहीं चलाऊँगी।”

सोनू खुश हो गया,
“चलो, भगवान ने थोड़ी इज्जत रख ली।”

सोनू पूरी रात सो नहीं पाया।
– बाइक पॉलिश
– चेन लुब्रिकेट
– टायर प्रेशर
– सेल्फी एंगल

सुबह 5 बजे वो बाइक के पास खड़ा होकर बोला,
“आज तू हीरो बनेगी।”

प्रीति आई तो पूरा मोहल्ला देख रहा था।
वो बोली,
“इतनी आवाज़ क्यों कर रही है बाइक?”

सोनू गर्व से बोला,
“मैडम, ये आवाज़ नहीं… पहचान है।”

जैसे ही बाइक चली,
प्रीति बोली,
“धीरे चलाओ, मैं गिर जाऊँगी।”

5 मिनट बाद,
“इतना धीरे क्यों चला रहे हो? स्कूटी वाले आगे निकल रहे हैं।”

सोनू कन्फ्यूज हो गया।
“मैडम, आप चाहती क्या हो?”

प्रीति हँस पड़ी।

हाइवे पर पहुँचते ही सोनू ने स्पीड बढ़ाई।
प्रीति चिल्लाई,
“ओए! मुझे उड़ना नहीं है।”

सोनू बोला,
“डरो मत, NS 200 है… भरोसेमंद।”

रास्ते में एक ढाबे पर रुके।
सोनू ने कहा,
“देखो, बाइक कैसी लग रही है।”

प्रीति बोली,
“बाइक तो ठीक है, लेकिन तुम ऐसे खड़े हो जैसे दूल्हा बारात में।”

ढाबे वाला आया,
“भाई साहब, फोटो खींचनी है क्या?”

सोनू खुश हो गया,
“हाँ, ज़रूर।”

प्रीति बोली,
“देखा, बाइक नहीं ली… शो ऑफ मशीन ली है।”

अचानक बारिश शुरू हो गई।
दोनों पेड़ के नीचे रुके।

प्रीति बोली,
“फिल्मी सीन हो गया।”

सोनू ने जैकेट दी।
“ठंड लगेगी।”

प्रीति मुस्कुराई।
“अच्छा है, बाइक के साथ इंसान भी लिया है।”

सोनू का दिल 6th गियर में चला गया।

एक मोड़ पर सोनू थोड़ा ओवरकॉन्फिडेंट हो गया।
बाइक फिसली…
प्रीति चिल्लाई…

लेकिन बाइक संभल गई।

प्रीति गुस्से में बोली,
“हीरो बनने आया था? मरने?”

सोनू बोला,
“गलती हो गई, अब धीरे।”

प्रीति ने हेलमेट पर थप्पड़ मारा,
“बाइक नई है, दिमाग पुराना।”

सूर्यास्त के समय दोनों नदी किनारे बैठे।

प्रीति बोली,
“सोनू, सच बताऊँ?”

सोनू डर गया।
“बाइक पसंद नहीं आई?”

प्रीति हँसी,
“बाइक तो ठीक है… लेकिन तुम्हारे साथ सफर अच्छा लगा।”

सोनू की आवाज़ काँप गई।
“मतलब…?”

प्रीति बोली,
“मतलब अगली लॉन्ग ड्राइव फिर करेंगे।”

घर लौटते वक्त सोनू बहुत धीरे चला रहा था।

प्रीति बोली,
“अब क्या हुआ?”

सोनू बोला,
“इस सफर को जल्दी खत्म नहीं करना चाहता।”

प्रीति मुस्कुराई।

घर पहुँचकर प्रीति बोली,
“कल फिर स्टेटस लगाना।”

सोनू बोला,
“किसका?”

प्रीति बोली,
“‘NS 200 + प्रीति = परफेक्ट लॉन्ग ड्राइव’।”

सोनू ने दिल में कहा,
“बाइक तो खरीदी ही थी… बोनस भी मिल गया।”

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